कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। आनंद धाम वृंदावन के पीठाधीश्वर ऋतेश्वर महाराज ग्वालियर में अल्प प्रवास पर रहें। इस दौरान वह मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के शासकीय आवास पर पहुंचे। जहां विधानसभा अध्यक्ष के परिवार ने उनका आत्मीय स्वागत किया। इस दौरान मीडिया से चर्चा करते हुए ऋतेश्वर महाराज ने राहुल गांधी, संविधान में संशोधन की आवश्यकता और POK समेत अन्य मुद्दों पर अपना विचार रखा।
संघ प्रमुख मोहन भागवत के हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की कोई आवश्यकता न होने के बयान और दूसरी ओर धीरेंद्र शास्त्री की हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की मांग से जुड़े सवाल पर ऋतेश्वर महाराज ने कहा कि संघ प्रमुख ने जो बात कही है, उन्होंने अपने संघ की तरफ से कहा है, संत जो अपनी पदयात्रा कर रहे हैं वह उनकी भावना है और भी जो ऋषि मुनि अन्य लोकतांत्रिक दल के लोग कह रहे हैं वह उनकी अपनी भावना है। मेरे मत से भारत में जब तक शिक्षा में सनातन और आधुनिक विज्ञान का समन्वय कर कक्षा एक से लेकर 10वीं तक एक ही छत के नीचे सारे विद्यार्थियों को नहीं पढ़ाया जाएगा, तब तक हिन्दू राष्ट्र एक परिकल्पना है।
सनातन विश्वविद्यालय की आवश्यकता पर जोर
उन्होंने कहा कि राष्ट्र की पढ़ाई, राष्ट्रवाद की पढ़ाई और सच्चे धर्म अर्थात् आध्यात्म की पढ़ाई नहीं कराई जाएगी, तब तक इस भारत का सारा विकास विनाश की तरफ ही जाएगा। क्योंकि आपका यह एक्सटर्नल विकास आपका विनाश ही कर देगा। आपका आंतरिक विकास होना बहुत जरूरी है और वह आध्यात्मिक विकास शिक्षा के माध्यम से ही होगा और शिक्षा का माध्यम सिर्फ सरकार होती है। यदि सरकार नहीं कर रही है तो जनता को खुलकर बोलना चाहिए। पिछले 15 सालों में लगातार इस देश में मेकुले को लेकर विरोध में बोला जा रहा है इसलिए मैंने सनातन विश्वविद्यालय की आवश्यकता पर जोर दिया है। जल्द इसकी शुरुआत भी करने जा रहे हैं मोदी जी ने भी कहा है कि अगले 10 सालों में मेकुले को हम भारत मे जड़ उखाड़ देंगे।
भारत को बचाना बहुत कठिन
ऋतेश्वर महाराज ने संविधान में परिवर्तन को बहुत जरूरी बताया है। उन्होंने कहा कि संविधान में थोड़ा बहुत नहीं बहुत परिवर्तन की जरूरत है। भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए जो मौलिक अधिकार है, उनका एक जैसा विधान होना चाहिए। क्रिमिनल तो एक जैसा है लेकिन जब हम जमीनों पर, धार्मिक अधिकारों पर विवाहों पर बात करते है, तब यहां अलग-अलग विधान हो जाते हैं। संविधान में सभी नियम एक जैसे होने चाहिए इसकी मांग भी अब उठ रही है, जिसे कॉमन सिविल कोर्ट कहा जाता है। यदि यह आता है तो डेमोग्राफी जरूर बदलेगी मोदी जी ने भी लाल किले के प्राचीर से कहा है कि भारत की डेमोग्राफी बदल रही है अगर हमारे पास सम-विधान होता तो इस तरह की दिल्ली घुसपैठ नहीं होती। हम लचर कानून के कारण इस देश को एक रखने में असफल हो रहे हैं। भारतीय अनुच्छेद में इतने छेद हैं जहां बचने के बहुत रास्ते हैं आप कुछ भी करो आप बच जाते हो। दुबई और सिंगापुर में क्यों नहीं होता क्योंकि यहां कठोर कानून है हमें भी कठोर कानून की मांग करना चाहिए, वरना भारत को बचाना बहुत कठिन है भारत के टुकड़े होना भी निश्चित है।
…राहुल गांधी के साथ भी खड़े हा जाएंगे
‘राहुल गांधी अपनी हर रैली और दौरे के दौरान जातिवाद पर जोर दे रहे है, कहते हैं कि सवर्ण हर जगह हावी हो रहे हैं दलित को बराबरी का हक देश में नहीं मिल रहा है’, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि सवर्ण का अर्थ सम वर्ण होता है, यानी एक ही वर्ण इसका अर्थ कोई बड़ा छोटा नहीं होता है। जातियों के आधार पर छोटा बड़ा नहीं मानना चाहिए। राहुल गांधी जी का जो बयान है वह उनका अपना विचार है, उस विचार का परिणाम भी उनके सामने है। लोकतंत्र में वह बहुत सफल आज तक नहीं हो पाए हैं। उन्हें अपनी नीतियां बदलनी होगी। राहुल गांधी से अखिलेश यादव से ममता बनर्जी के नाम से कोई परेशानी नहीं है। न हीं मुझे उनसे कोई प्रेम है। जो सनातन और राष्ट्र की बात करेगा जो सबकी बात करेगा हम उनके साथ खड़े हैं। राहुल गांधी यदि ये सभी बात करने लगेंगे तो हम उनके साथ खड़े हो जाएंगे। राहुल गांधी का काम नरेंद्र मोदी करने लगे और नरेंद्र मोदी का काम राहुल गांधी करने लगे तो भारत की जनता राहुल गांधी के साथ खड़ी हो जाएगी।
ऋतेश्वर महाराज ने बताया कि हम नरेंद्र मोदी जी के कामों के चलते उनके साथ खड़े हैं। मोदी जी अपने परिवार को छोड़कर भाई भतीजी बहन सब को छोड़कर बैठे हैं। एक अधिकारी भी होता है वह साला साली को भी बहुत अनैतिक रूप से कुछ फायदा पहुंचता है। हमारे योगी आदित्यनाथ ने भी अपने परिवार के किसी सदस्य को कुछ नहीं बनाया। इसलिए इतने बड़े पद पर रहकर वह अपने परिवार तक को अनैतिक लाभ नहीं पहुंचा रहे है, यह सीखने की बात है। मोदी जी भारत को और योगी जी भारत उत्तर प्रदेश को अपना परिवार मानते हैं। यदि यह विचारधारा राहुल गांधी जी का हो जाएगा तो लोग राहुल गांधी के साथ भी खड़े हो जाएंगे।
भस्मासुर नहीं है तो चिढ़ना नहीं चाहिए
‘राहुल गांधी की तुलना बीजेपी के वरिष्ठ नेता भस्मासुर से कर रहे हैं’, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि पौराणिक कथा में भस्मासुर का जिक्र है उसने अपने सिर पर हाथ रख लिया था और भस्म हो गया था। भस्मासुर के मन में गोरी हरण की लालसा हो गई थी, जबकि भगवान शिव ने ही उसे आशीर्वाद दिया। भारत की जनता ने जिनको इतनी वर्षों तक सत्ता चलाने का अवसर दिया यदि उन्होंने अच्छा काम नहीं किया तो निश्चित तौर पर वह लोग सही कह रहे होंगे। इस बात को कहने से भी राहुल गांधी को चिढ़ना चाहिए, उन्हें खुद में विचार करना चाहिए उन्हें चेक करना चाहिए कि उनके अंदर रावण जैसे दुर्गुण कौन से हैं और कैसे वह राम के पथ पर आगे बढ़ सकते हैं। यदि मैं चोरी नहीं कर रहा हूं तो मुझे कोई तकलीफ नहीं होना चाहिए और यदि मैं चोर हूं तो आपको वही कहा गया है। इसलिए यदि वह भस्मासुर नहीं है तो उन्हें चिढ़ना भी नहीं चाहिए और यदि वह है तो उन्हें अपने अंदर सुधार लाना चाहिए।
मदरसा-चर्च में दी जा रही शिक्षा पर भी बोले महाराज
मदरसे और चर्च में दी जा रही शिक्षा पर सवाल खड़े करते हुए उन्होंने कहा कि इन्हें बंद नहीं होना चाहिए, लेकिन देश में सभी को एक छत के नीचे एक जैसी शिक्षा भी मिलनी चाहिए। यह सभी जो भी शिक्षण संस्थाएं हैं। यह समूह के आधार पर शिक्षा दे रहे हैं यदि यहां भारत के टुकड़े करने की शिक्षा दी जाएगी भारत में हमारा कोई नहीं है ये शिक्षा दी जाएगी तो वह बड़े होकर क्या करेंगे। बाद में फिर इन्हें आप कितनी भी तस्वीर भारत की दिखाइए झंडा रोहण कराये लेकिन उनके मन में जो छोटी उम्र में बस गया है वह तो सिर्फ वही करेंगे। विज्ञान भी इसकी गवाही देता है। उनकी पूजा पद्धति अलग हो सकती है लेकिन वह भी सनातनी है। उनके पूर्वज भी सनातनी रहे हैं। वहां अच्छी पढ़ाई देशहित की पढ़ाई नहीं कराई जा रही है इसलिए असम में और उत्तर प्रदेश में सरकार ने कदम भी उठाया है
POK पर कही ये बात
पीओके को लेकर उन्होंने कहा कि यह एक लीगल मुद्दा है। पीओके के लोग यदि अपनी सनातनी संस्कृति को वापस पाकर भारत से जुड़ना चाहते हैं तो भारत को उनका स्वागत करना चाहिए। वरना अभी देश मे इतना पथ आधारित मतभेद बढ़ता जा रहा है, उसमें और ज्यादा मतभेद बढ़ने से कोई फायदा नहीं होगा। अभी जो भारत बचा है उसे ही हम बचा लें वही हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है। अखंड भारत अभी एक परिकल्पना नजर आती है।
दिल्ली ब्लास्ट पर भी दी प्रतिक्रिया
दिल्ली ब्लास्ट और उसमें पकड़े गए एजुकेटेड पढ़े लिखे आतंकवादियों से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि पढ़ाई उनकी बचपन से क्या हुई है, यह जानना बहुत जरूरी है। मेडिकल शिक्षा हो या फिर कोई अन्य शिक्षा हो इससे कोई एजुकेटेड नहीं कहा जा सकता है। जब बचपन में ही संस्कार खतरनाक हो गए हैं तो सभी पढ़ाई गई शिक्षा बेकार होती है। क्या उन्हें भारत माता के प्रति शिक्षा दी गई ? क्या भारत मां बेटियों को के प्रति सम्मान सिखाया गया है ? क्या उन्हें संस्कृति के प्रति मर मिटने का शिक्षा दी गई है ? यदि यह नहीं सिखाए गए तो वह डॉक्टर बने इंजीनियर बने या आईपीएस-आईएएस बने, वह करेंगे वही जो यह आतंकवादी कर रहे हैं।
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