रमेश बत्रा, तिल्दा। स्कूलों में छात्रों की पढ़ाई से ज्यादा सरकार का फोकस अब खुले में शौच रोकने के अभियान पर है. राजधानी रायपुर के तिल्दा में शिक्षकों की ड्यूटी अब ऐसे ही कार्यों पर लगाई जा रही है. तिल्दा नगरपालिका के सीएमओ ने ऐसा ही अजीबों गरीब आदेश जारी किया है जिसमें शिक्षकों को अल सुबह और शाम उन मैदानों व जगहों में जाना होगा जहां लोग शौच करने जाते हैं. आदेश के अनुसार लोगों को खुले में शौच करने से रोकने के साथ ही लोगों को जागरुक भी करना होगा. यह आदेश सीएमओ राजेन्द्र पात्रे ने शिक्षकों की एक मीटिंग लेकर जारी किया. आदेश की वजह से शिक्षकों में काफी रोष है खास तौर पर महिला शिक्षकों में. शिक्षक जहां इस गैर शिक्षकीय कार्य को लेकर विरोध कर रहे हैं वहीं महिला शिक्षक अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं.

 

आदेश का विरोध

खुले में शौच की निगरानी के लिए महिला शिक्षकों की भी तैनाती की गई है, विडंबना यह है कि शिक्षिकाओं को प्रात: 5 बजे से निगरानी रखनी पडेगी जिस कारण उन्हे अपनी सुरक्षा का डर सता रहा है. बीएनबी स्कूल नेवरा की भौतिकी व्याख्याता अल्का शर्मा का कहना है कि सुबह 5 बजे से हमें खुले में शौच करने वालों को रोकना है, हम लोंगों ने यह कार्य करने से मना किया तो सीएमओ साहब ने कहा काम तो किसी भी हालत में करना ही पडेगा. यदि इस दौरान हमारे साथ कोई अभद्रता होती है या कोई अनहोनी घटती है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा. सीएमओ साहब कहते हैं कि बहस होने की स्थिति में इंजीनियर को फोन लगा सकते हैं, फोन लगाने के बाद भी वे तत्काल तो घटनास्थल पर नही पहुंच सकते ऐसे में क्या वे हमें सुरक्षा की गारंटी देते हैं.

शिक्षिका किरन साहू नें आदेश पर रोष जताते हुए कहा कि मैं तिल्दा से 12 किलोमीटर दूर रहती हूं, खुले में शौंच की निगरानी करने मुझे सुबह 5 बजे पहुंचना है, 5 से 7:30 ड्यूटी करके वापस जाना है फिर 9 बजे स्कूल भी समय पर पहुंचना है. स्कूल से छूटने के बाद पुन: 5 से 7:30 तक निगरानी करनी है तो क्या मेरे घर परिवार की देखभाल करने पालिका मेरे घर कर्मचारी भेजेगी?

सासाहोली की रहने वाली शिक्षिका सुमन नेताम का कहना है कि शिक्षिकाओं के लिये यह कार्य ऊचित नही है । एक तो हमें अपने घर-परिवार की देखरेख भी करना होती है, दूसरी ओर कार्य के दौरान असमाजिक तत्वों का खतरा भी बना रहेगा.

शिक्षक भगवान सिंह नेताम का कहना है कि खुले में शौच करने वालों को रोकने के लिए शिक्षकों की तैनाती ठीक नही है. खासकर महिला शिक्षकों के लिए तो अनैतिक है. पालिका प्रशासन को चाहिए की इस कार्य के लिए अलग से कर्मचारी रखें और पुरूष शिक्षकों को इन कर्मचारियों को सुपरवाईज करने का कार्य दिया जा सकता है.

कहां-कहां चल रही है योजना

दुर्ग में नोनी टोली योजना बनाई गई है इसमें छात्राओं का दल बनाया गया है जो खुले में शौच करने वालों पर निगरानी कर रहा है उन टोलियों का हेड शिक्षकों को बनाया गया है. दुर्ग के अलावा महासमुंद में भी नोनी टोली योजना चल रही है जो लोगों को खुले में शौच जाने से रोकने के साथ ही उन्हें जागरूक करने का काम कर रहे हैं.

शिक्षकों की ओडीएफ में ड्यूटी लगाने की शुरुआत राजनांदगांव जिले से हुई लेकिन मीडिया में आने के बाद विरोध शुरु हुआ और कलेक्टर को यह योजना वापस लेनी पड़ गई.