रायपुर/रायगढ़। छत्तीसगढ़ के सरगुजा, कोरबा, रायगढ़ इलाके में आबांटित 14 को कोयला खदानों के लिए आयोजित पर्यावरणीय स्वीकृति का उग्र विरोध शुरू हो गया है. 27 सितंबर शुक्रवार को रायगढ़ जिले में तमनार तहसील के डोलेसरा गांव में आयोजित लोक सुनवाई का 14 गाँव के 3 हजार ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया. ग्रामीणों एक सुर में कह दिया है कि हमें खदान किसी भी कीमत में नहीं चाहिए. वहीं छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने सरकार से मांग की है पर्यावरणीय स्वीकृति लोक सुनवाई को निरस्त किया जाए.


आलोक शुक्ला ने कहा कि इस खनन परियोजना का प्रभावित ग्रामीण शुरू से ही विरोध कर रहे हैं. यही वजह है कि शुक्रवार को आयोजित सुनवाई के स्थल को ग्रामीणों ने चारों ओर से घेर रखा था, ताकि कंपनी के लोग धन लेकर कोई भी खदान के पक्ष में महौल न बना सके। उन्होंने यह भी बताया कि खदान महाराष्ट्र सरकार की है, परंतु इसके खनन विकास और संचालन (MDO,mine,develop,operate) का अधिकार गौतम अडानी की कंपनी के पास है.

आलोक शुक्ला है कि लगभग 2500 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैले इस खदान आबंटन के खिलाफ प्रभावित सभी गांवों की ग्राम सभाओं ने प्रस्ताव पारित किया था, परंतु पिछली भाजपा सरकार और अडानी ने ग्राम सभाओं की अस्वीकृति को नजर अंदाज करते हुए वर्ष 2018 में लोक सुनवाई आयोजित करने की कोशिश की थी, जिसके खिलाफ ग्रामीणों ने व्यापक विरोध प्रदर्शन किया था और उस आंदोलन का समर्थन करने वर्तमान मुख्यमंत्री और तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल स्वयं तमनार आए थे. उन्होंने स्वयं लोक सुनवाई और संपूर्ण खनन परियोजना को निरस्त की मांग रखी थी.


रायगढ़ जिले में तीन बड़े लौह संयत्र के साथ-साथ अनेक प्रदूषणकारी कारखाने हैं. साथ ही एसईसीएल, जिंदल, आदि की कोयला खदानें हैं. इन खदानों से आस-पास का पूरा इलाका कोयले के महीन धूल और कार्बन डाई-ऑक्साइड कार्बन मोनोक्साईड जैसे जहरीले गैसों से प्रदूषित है. राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने इस क्षेत्र में अब एक भी नए कारखानें अथवा खदान न खोलने की सिफारिश की है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने भी प्रदूषण नियंत्रण के प्रभावशाली उपाय किए बिना नए खदान नहीं खोलने के निर्देश दिए हैं.

आलोक शुक्ला ने आरोप लगाया है कि अडानी के दबाव में केंद्र सरकार के साथ-साथ अब छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार भी 26 मिलियन टन सालाना क्षमता वाले नया खदान खोलने की कोशिश में है. उत्तरी एवं उत्तर पूर्वी छत्तीसगढ़ के ये घने जंगल जिन्हे हसदेव अरण्य व मांड रायगढ़ क्षेत्र कहते हैं और जो नर्मदा नदी, गंगा बेसिन और महानदी बेसिन की नदियों का जलग्रहण क्षेत्र है. यदि यह जंगल कटते हैं, तो नर्मदा, सोन, सहित हसदेव, मांड, महानदी जैसी नदियां मर जाएंगी और इस क्षेत्र का तापमान भी 3-4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा. इस बात को कांग्रेस नेता अध्यक्ष राहुल गांधी ने हसदेव अरण्य क्षेत्र के मदनपुर मे छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के मंच पर स्वीकार किया था. छत्तीसगढ़ बचाओं आंदोलन छत्तीसगढ़ ने भूपेश बघेल सरकार से मांग की है कि वह गारे पेलमा 2 की पर्यावरण जन सुनवाई रद्द करे और ग्राम-सभाओं के प्रस्ताओं का सम्मान करते हुए पांचवी अनुसूचित क्षेत्रों में खनन परियोजनाओं पर रोक लगाए.