नई दिल्ली। भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव राजेश भूषण ने आज सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीनेशन (NEGVAC) की गाइडलाइन और रणनीति के बारे में अनुरोध पत्र भेजा है. उन्होंने गाइडलाइन से अवगत कराते हुए कहा कि बदलती हुई कोरोना महामारी की स्थिति और नए वैश्विक वैज्ञानिक अनुभवों से नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ने कई सुझाव दिए हैं. जिन्हें भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग में कोरोना वैक्सीनेशन के लिए गाइडलाइन बनाने का फैसला किया है. कोरोना संक्रमित और अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों को कितने महीने बाद वैक्सीन लगेगी. इसके लिए केंद्र सरकार ने राज्यों के लिए गाइडलाइन जारी किया है.
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किन परिस्थितियों में किया जाएगा वैक्सीनेशन
- किसी व्यक्ति के लैब टेस्ट रिपोर्ट में पॉजिटिव पाए जाने के 3 महीने बाद ही कोरोना वैक्सीन लगाया जाएगा.
- कोरोना पॉजिटिव मरीजों जिनमें एंटीबॉडी है. प्लाज्मा उपचार के दौरान दिया गया है. उन्हें वैक्सीनेशन अस्पताल से डिस्चार्ज होने के 3 महीने बाद ही दिया जा सकेगा.
- किसी व्यक्ति के कोरोना वैक्सीन के पहले टीके के बाद संक्रमित होने की स्थिति में दूसरा टीका पूरी तरह ठीक होने के 3 महीने बाद ही दिया जा सकता है.
- किसी व्यक्ति के गंभीर रूप से बीमार होने की स्थिति में अस्पताल या इंटेंसिव केयर यूनिट से डिस्चार्ज होने के 4 से 8 सप्ताह बाद ही कोविड टीका दिया जा सकेगा.
- कोई भी व्यक्ति कोविड- टीका लेने या निगेटिव आरटी-पीसीआर टेस्ट होने के 14 दिन बाद ही रक्तदान कर सकता है.
- स्तनपान कराने वाली सभी महिलाओं में कोविड- टीका करण पूरी तरह सुरक्षित है. इसे बिना किसी नुकसान के किया जा सकता है.
- कोविड-19 टीकाकारण के पहले किसी भी प्रकार के रैपिड एंटीजन टेस्ट स्क्रीनिंग किए जाने की आवश्यकता नहीं है.
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केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने सभी राज्यों मुख्य सचिवों से आग्रह किया है कि इस गाइडलाइन के पूर्णता पालन को तुरंत सुनिश्चित किया जाना जरूरी है. यह गाइडलाइन सभी टीकाकरण प्रदाताओं और सामान्य जन के बीच पहुंचाया जाना जरूरी है. उन्होंने यह भी आग्रह किया है कि टीकाकरण स्टाफ की ट्रेनिंग हर स्तर पर सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता है.
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