रायपुर। पीपुल्स कमीशन ऑन पब्लिक सेक्टर एण्ड पब्लिक सर्विसेज ने एलआईसी आईपीओ को अनुचित बताया है. वित्त मंत्री ने 2021 के अपने बजट भाषण में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में सरकारी हिस्सेदारी के विनिवेश की घोषणा की थी, इसके बाद एलआईसी आईपीओ सूची पत्र फरवरी 2022 की शुरूआत में जारी किए जाने की संभावना है.
कमीशन की ओर से जारी बयान में कहा गया कि प्रस्तावित आईपीओ एक महामारी के बीच हो रहा है, जिसने करोड़ों आजीविकाओं को समाप्त कर दिया है. ऐसे समय में सामाजिक सुरक्षा उपायों के तत्काल विस्तार की आवश्यकता है, जिसे एलआईसी पिछले कई दशकों से कर रहा है. आयोग ने आरोप लगाया कि सरकार ने एलआईसी विनिवेश पर बिना सोचे-समझे निर्णय लिया है, जो सरकार के इरादे और संकल्प पर एक नकारात्मक संदेश भेजता है.
आयोग ने कहा कि हालांकि, सरकार ने कहा है कि वह हमेशा के लिए कम से कम 51 प्रतिशत की नियंत्रित हिस्सेदारी जारी रखेगी, लेकिन एलआईसी में अपनी हिस्सेदारी को कम करने से विदेशी सहित निजी हितधारकों को संस्थान के संचालन को लेकर दखलदांजी की अनुमति देने की मजबूरी हो जाएगी. आयोग को डर है कि जिस एलआईसी को लोगों ने दशकों से समझा और अनुभव किया है, सरकारी हिस्सेदारी के कमजोर पड़ने से वह नाटकीय रूप से पुननिर्देशित हो जाएगी.
आयोग को लगता है कि एलआईसी का सूचीकरण और उसका विनिवेश वंचित वर्गों के लिए एक सामाजिक सुरक्षा प्रदाता के रूप में एलआईसी की भूमिका में मौलिक बदलाव लाएगा और इसके लाखों छोटे पॉलिसी धारकों की निर्णायक भूमिका को कमजोर करके, समृद्ध लाभ चाहने वाले निवेशकों के पक्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. परोक्ष रूप से, इसका तात्पर्य घरेलू बचत के विशाल पूल का नियन्त्रण बिना सोचे समझे विदेशी निवेशकों सहित निजी हाथों को सौंपना है.