उनमें दम नहीं जो बुझा दे मेरे हौसले के चिरागों को…किसी कलमकार की इन पंक्तियों को सार्थक करती दिखती है वर्तमान में नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का जीवन. पहले दुर्ग ज़िले में बेमेतरा आता था और वहीं से होने के कारण दुर्ग जिले की राजनीति जहां से भूपेश बघेल ने अपना कदम बढ़ाया. स्वाभाविक रुप से उनके कार्यो को बहुत करीब से देखने का अवसर मुझे मिला. दुर्ग जिले में कॉंग्रेस के युवाओं की मजबूत टीम हुआ करती थी जिसके अगुवाई भूपेश बघेल जी हुआ करते थे. बेमेतरा के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अविनाश तिवारी जी हमेशा दुर्ग जिले के उस टीम का उदाहरण अपने युवा साथियों को दिया करते थे. अभी सम्पन्न पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ का चुनाव भूपेश बघेल के नेतृत्व में लड़ा गया और इस कार्य में कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेता कंधा से कंधा मिलाकर चले और प्रदेश में कॉंग्रेस की न केवल वापसी हुई बल्कि यहां अपार सफलता उसे प्राप्त हुई.
छत्तीसगढ़ राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में भूपेश बघेल ने शपथ लिया. वर्तमान में आए परिणामों ने समस्त पूर्व अनुमानों एवं राजनैतिक समीकरणों के विश्लेषण को एक सिरे से नकार दिया. इसके पीछे एक ऊर्जावान, दृढ़ इच्छाशक्ति के धनी व्यक्तित्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल है. उनके संघर्षों की लंबी फेरिस्त है. उन्हें मानसिक, पारिवारिक, एवं सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा. उन्होंने प्रताड़ना एवं षडयंत्रों का भी शिकार होना पड़ा. उनके परिवार को जमीन के मामले में उलझाकर उनके राजनैतिक प्रभा मंडल को प्रभावित करने का प्रयास हुआ. दुर्भाग्यजनक ढंग से उन्हें सी डी कांड में उन्हें उलझाकर उनके चरित्र हनन के प्रयास से उनकी राजनैतिक यात्रा को प्रभावित करने की कोशिशें हुई. लाठी चार्ज से लेकर जेल तक जाना पड़ा. पर भूपेश बघेल ने बड़े साहस, आत्म विश्वास और दृढ़ संकल्प शक्ति के साथ सभी का सामना किया.
उनका व्यक्तित्व और उभरता चला गया और हौसले और बढ़ते चले गये, उन संघर्षों के प्रतिसाद में छत्तीसगढ़ की जनता ने उन्हें मुख्यमंत्री के पद पर आसीन कर अपनी वैचारिक एवं निर्णय क्षमता का प्रमाण दे दिया. छत्तीसगढ़ के चुनाव यदि देखे तो सत्तारुढ़ दल के पास जहां विपुल संसाधन था. बड़े बड़े स्थापित स्टार प्रचारकों को छत्तीसगढ़ के चुनाव में झोंक दिया गया था. उन लोगों ने काफी भीड़ भी बटोरी. वहीं कांग्रेस पार्टी ने भूपेश बघेल के नेतृत्व में बड़े संक्षिप्त संसाधनों से चुनाव लड़ कर यह स्पष्ट का दिया चुनाव में भीड़ एकत्रित करना अलग बात है. प्रभावित करना अलग बात है.
उन्होंने यह संदेश दिया कि हम प्रभावित करने पर नहीं प्रतिबद्धता पर विश्वास करते है. भीड़ को मतों पर प्रतिबद्धता से ही परिवर्तित किया जा सकता है. आए दिन समाचार पत्रों की सुर्खियों में आता था की सत्तारूढ़ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पार्टी के सदस्यों में जीत का मंत्र देने आ रहे है. मंत्र 2-3 बार देने आये भी, परंतु एक निष्ठावान, समर्पित परिपक्व राजनेता की तरह भूपेश बघेल ने यह सिध्द कर दिया की हर अक्षर अपने आप में मंत्र होता है. उन अक्षरों को मंत्र बनाने वाला प्रयोगकर्ता दुर्लभ होता है. लंबी राजनैतिक यात्रा करने वाली कांग्रेस पार्टी ही अक्षर को मंत्र बना सकती है भूपेश बघेल ने साबित कर दिया. उन्होंने छत्तीसगढ़ के नाड़ी केंद्र, किसानों के हितों को समझा और महसूस किया. अपने संकल्प गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के इस मंत्र को छत्तीसगढ़ की जनता ने समझा और अपना विश्वास भी जताया.
वे एक समरस सद्भाव और चरणबद्ध छत्तीसगढ़ के गौरव के प्रणेता के रूप में एक छत्तीसगढ़िया मुख्यमंत्री बनकर माननीय खूबचंद बघेल के सपनों का छत्तीसगढ़ बनना चाहते है. वे श्रध्येय नरेंद्रदेव वर्मा की छतीसगढ़ महतारी के उन पंक्तियों के उपासक है जिसमे उन्होंने “अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार, इंद्रावती ह पखारे तोरे पइयाँ, जय हो, जय हो छत्तीसगढ़ मैया”. कुछ ऐसे छत्तीसगढ़ की परिकल्पना किसान पुत्र मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने की है. जिसमें खेतों से खुशहाल किसान, उनके अल्हड़पन से गूंजते करमा ददरिया, छत्तीसगढ़ के युवकों को काम, वृद्धजनों के सम्मान लिये उदार समृद्धि प्रकृति भाव संपदा से संम्पन छत्तीसगढ़ होगा. इस दिशा में उनके स्पष्ट निर्णय दिशा निर्देश जो उन्होंने शपथ ग्रहण के बाद लिए है वह दिखने लगे है. किसानों का कर्जमाफ, सम्पूर्ण धान का समर्थन मूल्य में तत्काल स्वीकृति देकर उन्होंने अपनी सरकार की वचनबद्धता, तत्परता से सिद्ध कर दिया है. हमारी भी जिम्मेदारी है की हम गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के संकल्प के साथ प्रदेश को प्रगति के पथ में ले जाने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाए.