उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की फर्जी मार्कशीट और डिग्री मामले में उनके खिलाफ हाईकोर्ट ने याचिका लगाई गई थी. जिसमें अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. दिवाकर नाथ त्रिपाठी की पुनरीक्षण याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने की. जिसमें डिप्टी सीएम पर फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्र के आधार पर पेट्रोल पंप लेने और चुनाव में झूठा हलफनामा देने का आरोप था.

याचिकाकर्ता के वकीलों के मुताबिक हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयागराज की फर्जी और अमान्य डिग्री के आधार पर पेट्रोल पंप लिया गया और चुनाव में हलफनामा दायर किया गया, जो गंभीर अपराध है. जिसकी एफआईआर दर्ज कर विवेचना होनी चाहिए. मामले में कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया है.

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बता दें कि दिवाकर नाथ त्रिपाठी आरटीआई एक्टिविस्ट हैं. उन्होंने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराए जाने की याचिका दायर की थी. जानकारी के मुताबिक दिवाकर ने याचिका में कहा है कि 2007 में शहर के पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से केशव प्रसाद मौर्य ने विधानसभा का चुनाव लड़ा. इसके बाद कई बार चुनाव लड़े. उन्होंने अपने शैक्षणिक प्रमाण पत्र में हिंदी साहित्य सम्मेलन के द्वारा जारी प्रथम, द्वितीया आदि की डिग्री लगाई है, जो कि प्रदेश सरकार या किसी बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है. इन्हीं डिग्रियों के आधार पर उन्होंने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन से पेट्रोल पंप भी प्राप्त किया है.

मान्यता नहीं है- याचिकाकर्ता

याचिका में आरोप लगाया गया है कि शैक्षणिक प्रमाण पत्र में अलग-अलग वर्ष अंकित है. इनकी मान्यता नहीं है. दिवाकर ने स्थानीय थाना, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से लेकर उत्तर प्रदेश, सरकार भारत सरकार के विभिन्न अधिकारियों मंत्रालयों को प्रार्थना पत्र दिया पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. जिसके बाद वे कोर्ट पहुंचे.