वक्फ संशोधन बिल 2025 (Wakf Amendment Bill 2025)को संसद के दोनों सदनों से पारित करने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू(President Draupadi Murmu) ने इसे मंजूरी दे दी है, लेकिन इसके खिलाफ विरोध जारी है. वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट(Suprem Court) में अब तक 6 याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं, जिनकी जल्द सुनवाई की संभावना है. सोमवार (7 अप्रैल, 2025) को राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल(Kapil Sibal) ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में त्वरित सुनवाई का अनुरोध किया, जिस पर मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने सुनवाई का आश्वासन दिया है.

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एडवोकेट कपिल सिब्बल, जो जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से अदालत में उपस्थित हुए, ने कहा कि वे वक्फ कानून में किए गए परिवर्तनों का विरोध करते हैं और शीघ्र सुनवाई की अपील करते हैं.

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने स्पष्ट किया कि जल्द सुनवाई के लिए पहले से ही एक व्यवस्था मौजूद है, इसलिए इसे यहां रखने की आवश्यकता नहीं थी. उन्होंने कहा कि वह दोपहर में इन अनुरोधों पर गौर करेंगे और मामले की सुनवाई के संबंध में निर्णय लेंगे. उन्होंने सुनवाई का आश्वासन भी दिया है. वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ अब तक सुप्रीम कोर्ट में छह याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं, और याचिकाकर्ता आज चीफ जस्टिस से त्वरित सुनवाई की मांग कर सकते हैं.

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अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी और निजाम पाशा ने भी पेशी दी. कानून के खिलाफ सबसे पहले कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने 4 अप्रैल को याचिका प्रस्तुत की थी. इसके अतिरिक्त, एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान ने वक्फ कानून में संशोधनों की वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.

एक गैर सरकारी संगठन ‘सिविल राइट्स के संरक्षण के लिए संघ’ ने भी एक याचिका प्रस्तुत की है. केरल के सुन्नी मुस्लिम विद्वानों का धार्मिक संगठन ‘समस्त केरल जमीयत-उल उलेमा’ ने एडवोकेट जुल्फिकार अली पी एस के माध्यम से यह याचिका दाखिल की है.