रायपुर। कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय ने एक बयान जारी कर मोदी सरकार और भाजपा के उन दावों को झूठा करार दिया है. जिसमें तेल की बढ़ती कीमतों के लिए तात्कालीन यूपीए सरकार को वजह बताई जा रही है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार बार-बार ये बोल रही है कि यूपीए शासन काल के 1.31 लाख करोड़ रूपए के ऑयल बाॅन्ड का बिल ब्याज समेत चुकता करने की वजह से तेल के दामों में वृद्धि हो रही है. जबकि वास्तविकता ये है कि मोदी सरकार अपने 7 साल के कार्यकाल में ऑयल बाॅन्ड पर केवल 3,500 करोड़ रूपये का भुगतान ही किया है, जबकि पेट्रोल-डीजल से इन 07 सालों में मोदी सरकार ने 22 लाख करोड़ रूपये की कमाई की है. वहीं इस बीच टैक्स से ही केन्द्र की कमाई 300 प्रतिशत बढ़ी है.
कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय ने कहा कि बीते ढाई महीने से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है. देश के कुछ राज्यों में उनकी कीमतें 100 रूपये को पार कर गई है, तो अन्य सभी राज्यों में यह आँकड़ा 100 रूपये के बेहद करीब है. उन्होंने कहा कि 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के चलते अप्रैल के महीने में लगातार 18 दिनों तक पेट्रोल-डीजल की कीमतें नहीं बढ़ाई गई. लेकिन चुनाव परिणाम के ठीक एक दिन पहले 1 मई को फिर से कीमतें बढ़ाई गई. इस तरह मई महिने में ही 16 बार और मई से जुलाई के दरमियान तेल की कीमतों में 38 बार का इजाफा किया जा चुका है. इस तरह बीते ढाई महिने के दौरान पेट्रोल और डीजल दोनों की कीमतों को अब तक करीब 10.50 रूपये का इजाफा किया जा चुका है.
बढ़ती कीमतों की वजह यूपीए शासन काल के ऑयल बांड को दिया जाना गलत
विकास उपाध्याय ने कहा कि मोदी सरकार और भाजपा तेल की बढ़ती कीमतों के लिए बार-बार दलील दे रही है कि 2014 के पहले तेल कम्पनियों को जो ऑयल बाॅन्ड जारी किए गए थे, उनका मूलधन और उस पर लगने वाला ब्याज चुकाना पड़ रहा है. इस वजह से तेल की कीमतों में वृद्धि हो रही है, जो कि सरासर झूठ और देश को गुमराह करने वाली बात है. विकास उपाध्याय ने कहा कि बीते 7 सालों में मोदी सरकार ने पेट्रोल-डीजल से 22 लाख करोड़ रुपए की कमाई की है. जबकि यूपीए सरकार के ऑयल बाॅन्ड पर केवल 3,500 करोड़ रूपये का भुगतान ही अभी तक किया गया है. जबकि इस बीच सरकार ने 22 लाख करोड़ रुपये तक कि कमाई कर चुकी है.
पेट्रोल-डीजल को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की वजह से बढ़े रेट
विकास उपाध्याय ने कहा कि 2014 में मोदी सरकार ने पेट्रोल-डीजल दोनों को ही सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर दिया. इससे तेल की कीमतों का बोझ सीधे आम उपभोक्ता के कंधों पर आ गया. शुरू में तो हर तीन महीने में इनकी कीमतों में बदलाव हुआ करता था, लेकिन 15 जून 2017 से मोदी सरकार ने ‘डायनामिक फ्यूल प्राइस सिस्टम’ लागू कर दिया. इससे रोज ही तेल की कीमतों में उतार चढ़ाव होने लगा. यहीं से मोदी सरकार को समझ आ गया कि तेल में अच्छा खासा उपभोक्ता से कमाई की जा सकती है, जो आज पर्यन्त तक जारी है. यही सबसे बड़ा कारण है कि तेल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं.
ऑयल बाॅन्ड का वर्तमान में मोदी सरकार पर कितना बोझ
विकास उपाध्याय ने कहा कि बजट आंकड़ों के हिसाब से यूपीए सरकार के दौरान जारी किए गए करीब 1.31 लाख करोड़ रूपये के ऑयल बाॅन्ड का भुगतान तेल कम्पनियों को मार्च 2026 तक किया जाना है. जिसमें केन्द्र सरकार ने अब तक 3,500 करोड़ रूपये ही चुकाए हैं. बजट दस्तावेज के अनुसार 2019 से 2024 के बीच मोदी सरकार पर ऑयल बाॅन्ड की 41,150 करोड़ रूपये की देनदारी बनती है. हालांकि इस देनदारी से जुड़ा कोई भी बाॅन्ड अभी मेच्योर नहीं हुआ है. साल 2021 में अर्थात् इसी वर्ष मोदी सरकार पर 10,000 करोड़ रूपये के दो ऑयल बाॅन्ड की देनदारी है. इसे अभी भरा नहीं गया है और 5-5 हजार करोड़ रूपये के ऑयल बाॅन्ड इस साल 16 अक्टूबर और 28 नवम्बर को मैच्योर होंगे. इसके बाद अगला बाॅन्ड 10 नवम्बर 2023 को मैच्योर होगा. इसके लिए सरकार को 22,000 करोड़ रूपये और ब्याज भरना होगा. अंतिम बाॅन्ड जो 2007 में 5,000 करोड़ रूपये जारी किया गया था वह 12 फरवरी 2024 को मैच्योर हो रहा है. इससे साफ जाहिर है तेल पर सरकार को बॉन्ड का बिल चुकाने तात्कालिक बोझ नहीं है.
पेट्रोल-डीजल पर मोदी सरकार की कमाई कितनी हुई
विकास उपाध्याय ने मोदी सरकार की तेल से कमाई को लेकर बड़ा खुलासा कर बताया आखिर यूपीए सरकार के दौरान जारी किए गए जिस ऑयल बाॅन्ड के भुगतान की मोदी सरकार बार-बार दुहाई दे रही है. केन्द्र सरकार हर साल पेट्रोल और डीजल पर कमाती कितनी है ? विकास ने बताया कि मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के एक वर्ष में 2014-15 के दौरान एक्साइज ड्यूटी से पेट्रोल पर 29,279 करोड़ रूपये और डीजल पर 42,881 करोड़ रूपये की कमाई की. वहीं इस वर्ष लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने लिखित जवाब में बताया है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के पहले 10 महीनों के दौरान सरकार ने 2.94 लाख करोड़ रूपये की कमाई की है. यह वह समय था जब कोरोना महामारी चरम पर थी और लंबी अवधि तक लाॅकडाउन के चलते तेल की खपत भी कम हुई थी. गौर करने वाली बात है कि यूपीए सरकार ने बाॅन्ड के रूप में 1.31 लाख करोड़ रूपये की देनदारी तेल कम्पनियों को दे रखी थी, जिसे 2026 तक देना है. ऐसे में इस पर ब्याज भी जोड़ दिया जाए तो 2.62 लाख करोड़ रूपये से कम ही का भुगतान करना होगा. स्पष्ट है कि मोदी सरकार ने एक साल में ही तेल पर 2.94 लाख करोड़ की कमाई की है. इसका तात्पर्य यह है कि मोदी सरकार का यह कहना कि यूपीए सरकार द्वारा ऑयल बाॅन्ड जारी करना पेट्रोल-डीजलों की बढ़ती कीमतों के लिए जिम्मेदार है पूरी तरह झूठ है. विकास उपाध्याय ने यह भी बताया कि मोदी सरकार पिछले 07 सालों में तेल में लगने वाले टैक्स से ही 300 प्रतिशत बढ़ी हुई कमाई की है.
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