पुरुषोत्तम पात्रा, गरियाबंद. जिले में पीएचई विभाग ने देवभोग विकासखंड के 64 स्कूलों में लगे हैंडपंपो के पानी के सैंपल की रिपोर्ट पेश की है. 30 स्कूलों के हैंडपंप में फ्लोराइड और 8 स्कूलों के हैंडपंप में आयरन की मात्रा ज्यादा पाई गई है. वहीं आधे से अधिक स्कूलों में लगे हैंडपंपों का पानी पीने लायक ही नहीं है. इस रिपोर्ट के आने के बाद से जिला प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है.
सुपेबेड़ा के अलावा आसपास के आधा दर्जन गांव में लगातार किडनी रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है. उसके साथ ही इलाके के पेयजल में अनुपात से ज्यादा आयरन और फ्लोराइड जैसे तत्व मिलने के बाद शिक्षा विभाग ने 6 महीने पहले ब्लॉक के 217 स्कूलों में पीने के पानी का उपयोग होने वाले जलस्रोतों की परीक्षण की मांग की थी. महीनेभर पहले तक विभाग ने 53 प्राथमिक, 9 माध्यमिक और 1 हायर सेकेंडरी स्कूल के जलस्रोतों का सैंपल एकत्र कर गरियाबंद स्थित लेबोरेट्री में जांच के लिए भेजा था.
अधिकारियों का कहना है कि यह पानी पीने योग्य नहीं है इसके बावजूद लोग पी रहे है. ये शरीर के लिए हानिकारक है. केवल एक तिहाई स्कूलों की जांच में आधा से ज्यादा स्कूलों के स्रोतों में मानक से ज्यादा आयरन और फ्लोराइड की मात्रा पाई गए है. उन्होंने ने बताया कि रिपोर्ट की जानकारी तत्काल उच्चाधिकारियों को दी गई. क्योंकि बच्चों से जुड़ा मामला था, इसलिए डीईओ ने तत्काल प्रभावित स्कूलों में आरओ वाटर मुहैया हो सके, इसके लिए सुझाव और प्रस्ताव की मांग भी की है.
पीएचई विभाग ने जिन स्कूलों के पानी की रिपोर्ट जारी की है. यदि उन स्कूलों में बढ़ने वाले बच्चों की स्वास्थ्य की बात करे तो, हर चौथे बच्चे के दांतों और हड्डियों में दूषित जल का प्रभाव साफ नजर आया है. बच्चों के दांतों में पीलापन दिख रहा है. बताया जा रहा है कि खाना पकाते समय भी पानी में खराबी का अंदाजा सालों पहले लग चुका था. शिकायत के बाद भी सुधार नहीं हुआ तो नदी के पानी से भोजन पकाते थे. प्रभावित गांवों की सूची में अधिकतर गांव के लोगों को पानी में खराबी का पहले ही पता लग गी थी. वे नदी का पानी का इस्तेमाल बारहोमास करते आ रहे हैं, लेकिन स्कूल के बच्चे हैंडपंप का पानी उपयोग करते हैं.
शिक्षा विभाग की मांग पर पीएचई विभाग ने 6 महीने बाद देवभोग विकासखंड के 217 स्कूलों में केवल 64 स्कूलों की रिपोर्ट पेश की है. बाकि स्कूलों की रिपोर्ट कब तक आयेगी और क्या विकासखंड के सभी गांवों में लगे हैंडपंपों के पानी की भी विभाग जांच करेगा. फिलहाल विभाग के पास इसका कोई जबाव नहीं है, पीएचई विभाग की लापरवाही का खामियाजा सुपेबेडा के लोग तो भुगत ही रहे है, कहीं ऐसा ना हो कि अब विभाग की ये लापरवाही पूरे देवभोग विकासखंड को न भुगतना पड़े.