शिवम मिश्रा, रायपुर। राजधानी रायपुर की सेंट्रल जेल फिर विवादों में घिर गई है। जेल के भीतर से आरोपियों का वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठ गए हैं। इस बार वायरल वीडियो बैरक नंबर–15 का बताया जा रहा है, जिसमें एनडीपीएस एक्ट का आरोपी रशीद अली उर्फ राजा बैजड कसरत करते नजर आ रहा है।

वायरल फोटो और वीडियो में रशीद अली के साथ रोहित यादव और राहुल वाल्मिकी भी दिखाई दे रहे हैं। इससे यह साफ़ जाहिर होता है कि जेल के अंदर मोबाइल और इंटरनेट का खुला उपयोग हो रहा है। यह घटना 13 से 15 अक्टूबर 2025 के बीच की बताई जा रही है।

जेल प्रशासन में मचा हड़कंप

वीडियो वायरल होने के बाद जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया है। फिलहाल, इस मामले पर जेल प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए हैं। जेल अधीक्षक से रिपोर्ट तलब की गई है और यह पता लगाने को कहा गया है कि इतनी कड़ी निगरानी के बावजूद मोबाइल फोन जेल में कैसे पहुंचा।

देखिये जेल के अंदर से वायरल वीडियो –

राशिद का आपराधिक रिकार्ड

राशिद अली उर्फ राजा बैझड़ (23 वर्ष), निवासी ताज नगर, रायपुर, टिकरापारा थाना का आपराधिक रिकार्ड लंबा है। उसके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं।

  1. 632/14, थाना टिकरापारा: 25 आर्म्स एक्ट
  2. 136/15, थाना टिकरापारा: 25 आर्म्स एक्ट
  3. 351/17, थाना टिकरापारा: 25, 27 आर्म्स एक्ट
  4. 250/17, कोतवाली: 302, 201, 34 भादवि
  5. 756/24, थाना टिकरापारा: 262 भा.न्या. संहिता
  6. 864/24, थाना टिकरापारा: 25, 27 आर्म्स एक्ट
  7. 507/25, थाना टिकरापारा: 296, 351(2), 115(2) भादवि
  8. 517/25, थाना टिकरापारा: 20(B) एनडीपीएस एक्ट
  9. इस्त 411/442/25, थाना टिकरापारा: 170, 126, 135(3) भा.न्या. संहिता

पहले भी वायरल हुआ है जेल से फोटो

यह पहली बार नहीं है जब रायपुर सेंट्रल जेल विवादों में आई है। इससे पहले झारखंड के गैंगस्टर अमन साव के फोटोशूट का मामला सामने आया था। अमन साव को झारखंड ले जाने के दौरान भागने की कोशिश में मारा गया था, लेकिन जेल में खिंचवाए गए फोटो और वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो गए थे।

सुरक्षा के नाम पर रोजाना की तलाशी और लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद कैदी मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। अब देखना यह होगा कि जांच के बाद दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है और क्या जेल प्रशासन इस बार सुधार के ठोस कदम उठाता है या यह मामला भी फाइलों में ही दबकर रह जाता है।