शिवम मिश्रा, रायपुर। राजधानी रायपुर के उरला इलाके में रविवार की रात उस वक्त दहशत फैल गई, जब खबर आई की वहां की एक फैक्ट्री में जहरीली गैस का रिसाव हो रहा है. गैस रिसाव होते ही फैक्ट्री प्रबंधन ने आनन-फानन में सभी मजदूरों को बाहर निकाला. गैस रिसाव की चपेट में आए कुछ मजदूरों को हाॅस्पिटल भेजे जाने की खबर भी सामने आई, हालांकि इस घटना में किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है. बावजूद इसके सवाल उठ रहे हैं कि आखिर जहरीली गैस का रिसाव होना क्या फैक्ट्री प्रबंधन की बड़ी चूक नहीं है? रिसाव की घटना के बाद फैक्ट्री प्रबंधन मामले को रफा-दफा करने की कवायद में जुट गया.
बताया जा रहा है कि उरला की इस फैक्ट्री में देर शाम गैस का रिसाव होना शुरू हुआ. कुछ मजदूर काम खत्म कर लौट रहे थे. इसी दौरान गैस का रिसाव हुआ. जैसे ही रिसाव की जानकारी आई, मौके पर मौजूद फैक्ट्री के अधिकारी हरकत में आए और लिकेज ढूंढकर उसे बंद करने की कवायद शुरू की गई. जब तक लिकेज बंद किया जाता, तब तक जहरीली गैस का काफी रिसाव हो चुका था. जब इस संवाददाता ने मौके पर जाकर जानकारी जुटानी चाही, तब फैक्ट्री कर्मियों ने भीतर जाने से रोक दिया. काफी जद्दोजहद के बाद इस घटना को छोटी घटना बताते हुए जवाब दिया कि- ‘रविवार की शाम साढ़े छह बजे गैस का रिसाव हुआ था. यह छोटी घटना है. यह हर फैक्ट्री में होती रहती है. रिसाव की जगह ढूंढकर पाइप को सुधार दिया गया’.
फैक्ट्री में रिसाव की खबर आसपास के इलाकों में भी फैल गई. इससे इलाके में दशहत की स्थिति बन गई. लोगों ने अपने आपको सुरक्षित रखने के लिए कमरों में बंद कर लिया. लोगों को इस बात का डर था कि गैस के रिसाव का असर उन तक न हो. इसकी चपेट में वह न आ जाए. स्थानीय निवासी ने बताया कि फैक्ट्री में गैस का रिसाव एक मुद्दा है ही, इसके अलावा स्थानीय निवासी फैक्ट्री से निकलने वाले जहरीले अपशिष्ट से हर रोज जूझ रहे हैं. इसकी वजह से न केवल कई तरीके की परेशानियों से जूझना पड़ता है, बल्कि यह आसपास रहने वालों को बीमार भी कर रहा है. इसकी कई बार शिकायत प्रशासन से की गई, लेकिन कभी कोई कार्रवाई नहीं की गई. इधर जिला प्रशासन और पुलिस ने ऐसी किसी भी घटना से अनभिज्ञता जताई है और आधिकारिक बयान देने से बचने की कोशिश की है.
रायगढ़ में हुआ था जहरीली गैस का रिसाव
बीते मई महीने में रायगढ़ में जहरीली गैस के रिसाव का मामला सामने आया था. लाॅकडाउन के दौरान पेपर मिल का संचालन बंद था, बावजूद इसके जहरीली गैस का रिसाव हुआ था. इस रिसाव में सात मजदूर चपेट में आ गए थे. इस मामले को तब सरकार ने गंभीरता से लिया था. मिल संचालक के विरूद्ध एफआईआर दर्ज किया गया था.
बीमारियों का करना पड़ता है सामना
डॉ. राकेश गुप्ता बताते हैं कि जो व्यक्ति अमोनिया गैस की चपेट में आता है, उसको कई तरह की बीमारियों को सामना करना पड़ता है, जैसे सांस की बीमारी, फेफड़ों में गंभीर रोग, आंख को खराब कर देना, त्वचा की समस्या, सेल्स को खत्म कर देना. इस तरह की कई बीमारियों से सामना करना पड़ता है. यही नहीं यह समस्या आजीवन रहती है. ज्यादातर मामले में अमोनिया गैस की चपेट में आने वाले व्यक्ति के बचने का आसार बहुत कम होता है. जो कम प्रभावित होते हैं उनको कई तरह की बीमारियों का सामना पड़ता है.