Pitripaksh Tarpan 2025: पितृपक्ष में किए जाने वाले तर्पण और श्राद्ध को हिंदू परंपरा के साथ-साथ ज्योतिषीय दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है. पितृपक्ष समापन की ओर है. ऐसे में पंडित वर्ग का कहना है कि जिन परिवारों ने अभी तक तर्पण या श्राद्ध संस्कार नहीं किए हैं, उन्हें इन शेष दिनों में अवश्य करना चाहिए ताकि वे अपने पूर्वजों के आशीर्वाद से वंचित न रहें.
ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि इन दिनों पूर्वजों का आशीर्वाद ग्रह दोषों, विशेषकर पितृदोष और चंद्र-शनि संबंधी अशुभ प्रभाव को काफी हद तक कम कर देता है. तर्पण करने से परिवार में स्थिरता, आयु में वृद्धि और स्वास्थ्य की रक्षा के योग मजबूत होते हैं.
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ज्योतिषीय असर (Pitripaksh Tarpan 2025)
पितृपक्ष में सूर्य और चंद्रमा के विशेष संयोग पूर्वज आत्माओं की शांति का कारक माने जाते हैं. तर्पण से अशुभ ग्रहों का प्रकोप घटता है और कुल की उन्नति का मार्ग खुलता है.
ज्योतिषीय मत के अनुसार, संतोषपूर्वक किया गया तर्पण आगामी वर्ष में परिवार को मानसिक शांति और आर्थिक संतुलन प्रदान करता है.
तर्पण के शुभ समय (Pitripaksh Tarpan 2025)
ब्राह्म मुहूर्त से लेकर मध्यान्ह तक का समय तर्पण के लिए श्रेष्ठ माना जाता है. जल, तिल और कुशा के साथ किया गया तर्पण पूर्वजों तक सीधा पहुंचता है. ग्रह-नक्षत्र की अनुकूलता को ध्यान में रखते हुए अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है.
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