वाराणसी. काशी को मोक्ष की नगरी कहते हैं यहां जो इंसान अंतिम सांस लेता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. जिन लोगों की मृत्यु यहां नहीं होती उनका अंतिम संस्कार यहां  पर कर देने मात्र से ही मोक्ष मिलता है. इसके साथ ही काशी में एक ऐसा कुंड भी है जहां पर मृत आत्माओं की शांति के लिए देश भर से लोग पिंड दान के लिए आते है. पितृपक्ष शुरु हो चुका है और कहते है कि इन दिनों इस कुंड पर भूतों का मेला लगता है.

इस कुंड का नाम है पिशाचमोचन कुंड. जहां पितृपक्ष में अकाल मौत मरने वालों को श्राद्ध करने से मुक्ति मिलती है. तामसी आत्माओं से छुटकारे के लिए कुंड के पेड़ में कील ठोक कर बांधा जाता है. कुछ लोग नारायन बलि पूजा भी कराते है जिससे मरने वाले की आत्मा को शांति मिलती है.

मंदिर के पुजारी बताते है कि काशी से पहले इस शहर को आनंदवन के नाम से जाना जाता था. पितृ पक्ष शुरु हो रहा है और भारत के कोने कोने से लोगों का यहां के पिशाचमोचन कुंड में पिंड दान के लिए आना शुरु हो चुका है. पिशाचमोचन मंदिर के पुजारी  बताते है कि यहां एक मान्यता ऐसी भी है कि अकाल मौत मरने वालों की आत्माएं तीन तरह की होती है जिसमें तामसी राजसी और सात्विक होती है. तामसी प्रवित्ति की आत्माओ को यहां के विशाल काय वृक्ष में कील ठोककर बांध दिया जाता है, जिससे वो यहीं पर इस वृक्ष पर बैठ जाए और किसी भी परिवार के सदस्य को परेशान न करें. इस पेड़ में अब तक लाखों कील ठोकी जा चुकी है ये परंपरा बेहद पुरानी है जो आज भी चली आ रही है.