शिवम मिश्रा,रायपुर। कोविड-19 इन्फेक्शन के ट्रीटमेंट के तौर पर प्लाज्मा थेरेपी विकल्प के तौर पर उभरा है. इससे प्रचलित तरीके से जिन कोविड-19 मरीजों को फायदा नहीं हो रहा है, उन्हें इस ट्रीटमेंट से ठीक किया जा सकता है. इस बात की जानकारी देते हुए डॉक्टर विकास गोयल और डॉ. राकेश गुप्ता ने इस ट्रीटमेंट की जानकारी साझा की है.
डॉ. विकास गोयल ने लल्लूराम डॉट कॉम को बताया कि प्लाज्मा थेरेपी एक सफल ट्रीटमेंट के रूप में उभर कर सामने आया है. कोविड-19 से प्रभावित मरीज जो पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं, उनके शरीर में इस बीमारी के विरोध में एंटीबॉडी डेवेलप हो जाती है और उन एंटीबॉडी को हम प्लाज्मा के रूप में शरीर के बाहर निकालकर कोविड-19 के मरीज के शरीर में इंजेक्ट करते हैं. यह एंटीबॉडी कोविड-19 को अटैक करते हैं. इससे मरीज की ठीक होने की संभावना और बढ़ जाती है.
उन्होंने बताया कि प्लाज़्मा थेरेपी के बारे में कई जगह रिसर्च हो रहे हैं और कुछ देशों में इसका सफल उपयोग भी हुआ है. प्लाज्मा थेरेपी का इंडिया में भी सक्सेसफुल तरीके से उपयोग हो चुका है, इसके पहले भी जो महामारी हुई है. इन सब बीमारियों में भी प्लाज्मा थेरेपी का सफल उपयोग हुआ है. उन्होंने बताया कि कोविड-19 के उन मरीजों को जिन्हें प्रचलित ट्रीटमेंट से फायदा नहीं हो रहा है, तो इस ट्रीटमेंट से ऐसे मरीजों को ठीक किया जा सकता है.
वही डॉ. राकेश गुप्ता ने भी लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में बताया कि ब्लड प्लाज्मा थेरेपी पर अभी ट्रायल चल रहा है, जो मरीज कोविड-19 से ठीक हो जाते हैं, उन मरीजों का कुछ मात्रा में ब्लड निकालकर उससे रक्त कोशिकाओं को अलग किया जाता है. उसमें से जो प्लाज्मा बचता है, उस प्लाज्मा में कोरोना वायरस के प्रतिरोधक क्षमता की एंटीबॉडीज रहती है उसमें ठीक हुए मरीज के ब्लड को कोरोना इफेक्ट मरीज में इस्तेमाल करते हैं. उसी से उसका ट्रीटमेंट होता है. यह अभी शुरुआती स्टेज है, कोरोना सीरियस मरीजों को ठीक करने में ब्लड प्लाज्मा थेरेपी दिल्ली के कुछ बड़े अस्पतालों में शुरू की गई है.
उन्होंने आगे बताया कि दिल्ली के डॉक्टरों का दावा है कि इस थेरेपी से कोरोना मरीज की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ गई और उनको ठीक करने में मदद मिली है. इसलिए अब इस थैरेपी को ज्यादा से ज्यादा मरीजों में इस्तेमाल किया जा सकता है. उन्होंने ये भी बताया कि इस तरह की थेरेपी पुराने रोगों में उपयोग की जाती थी. लेकिन कोरोना वायरस खून की बीमारी नहीं है, यह स्वसनतंत्र से फैलने वाली बीमारी है. यही वजह है कि अब इस थेरेपी को आने वाले समय में उपयोग किया जा सकता है.