सुप्रिया पाण्डेय, रायपुर. प्लास्टिक प्रदूषण से राजधानी रायपुर को जल्द ही निजात मिल सकती है. नगर निगम विस्तारित निर्माता जिम्मेदारी (ईपीआर) पर काम करने जा रहा है. ईपीआर के तहत प्लास्टिक बनाने वाली कंपनियां जितनी मात्रा में प्लास्टिक का उत्पादन करेंगी उतने ही मात्रा में उन कंपनियों को इसका निस्तारण भी करना होगा. जिसे लेकर जल्द ही बैठक आयोजित की जाएगी.

निगम आयुक्त पुलक भट्टाचार्य ने बताया कि छत्तीसगढ़ में नगर निगम द्वारा पहली बार इस तरह का काम किया जा रहा है. ईपीआर (Extended producer responsibility) के तहत जो कम्पनियां अपना सामान बनाती है वो खुद प्लास्टिक को रि-कलेक्ट करे या नगर निगम को कलेक्ट करने के लिए पैसे का भुगतान करे. इस पर जल्द ही काम शुरू हो रहा है. बीकाजी और हल्दीराम जैसे बडे ब्रांड से बातचीत भी शुरू हो गई है. प्लास्टिक बनाने वाले कंपनियों के द्वारा बड़ी संख्या में प्लास्टिक, कांच और टायर बनाया जाता है.

क्या है ईपीआर

ईपीआर के माध्यम से बड़ी कंपनियां अपने उत्पादन की पैकिंग में इस्तेमाल होने वाले पॉलीथीन को पुनर्चक्रित कर प्रदूषण के रोकथाम में मदद करेंगी, लेकिन यदि कंपनियों ने ये कदम नहीं उठाया तो नगर निगम इसकी जिम्मेदारी लेगा. बशर्ते कंपनियों द्वारा निगम को पॉलिथीन को पुनर्चक्रित करने के पैसे भुगतान करने होंगे.

इस योजना का क्रियान्वयन ईपीआर की मंजूरी मिलने के बाद किया जा सकेगा. कंपनी को ये निर्धारित करना होगा कि वो जितना पॉलिथीन या प्लास्टिक पैकिंग के लिए इस्तेमाल करेगी उस प्लास्टिक का निस्तारण भी सुनिश्चित करेंगी, लेकिन ये अनिवार्य नहीं है कि वो पॉलिथीन या प्लास्टिक उसी कंपनी का हो.

यदि कोई कंपनी दूध का उत्पादन कर उसकी आपूर्ति करती है वो जितनी मात्रा में दूध को लेकर पॉलिथीन का उत्पादन करती है उतनी ही मात्रा में कंपनी को पॉलिथीन का निस्तारण करना होगा और ये जरूरी नहीं कि निस्तारित होने वाली पॉलिथीन दूध की ही हो.

इस योजना के माध्यम से ऐसी पॉलिथीन जो एक बार इस्तेमाल करने के बाद बाद फेंक दी जाती है उस पर रोक लगाना है. साथ ही एक बार इस्तेमाल की जाने वाली पॉलिथीन अथवा प्लास्टिक के निस्तारण में भी सहायता मिलेगी और इस माध्यम से प्लास्टिक के माध्यम से लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को रोका जा सकता है.