कुशीनगर. रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 भारत की संसद का एक अधिनियम है, जो घर-खरीदारों की रक्षा करने के साथ-साथ रियल एस्टेट उद्योग में निवेश को बढ़ावा देने में मदद करता है. अधिनियम रियल एस्टेट क्षेत्र के नियमन के लिए प्रत्येक राज्य में एक रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) स्थापित करता है और त्वरित विवाद समाधान के लिए एक निर्णायक निकाय के रूप में भी कार्य करता है. लेकिन कुशीनगर जनपद में रेरा अधिनियम की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और शहरी क्षेत्रों में रियल एस्टेट अधिनियम में विना रजिस्ट्रेशन के जमीनों की प्लाटिंग कर खरीदा बेचा जा रहा हैं. खरीदारों को इसकी कोई जानकारी नहीं हैं, लेकिन इसके नियमों के उल्लंघन पर सजा का प्रावधान हैं.

RERA अधिनियम के अध्याय VIII की धारा 59 से 72 में अपराध, दंड और न्यायनिर्णयन के संबंध में प्रावधान है. अधिनियम की धारा 59, 60 और 62 रेरा के तहत गैर-पंजीकरण के लिए प्रमोटरों और रियल एस्टेट एजेंटों को सजा का प्रावधान करती है. RERA Act में प्रमोटर, रियल एस्टेट एजेंट अदि के लिए अलग अलग सजा है. यहां पर RERA act की उलंघना करने पर प्रोजेक्ट की लागत के हिसाब से 10-50% जुर्माने के साथ साथ 1-3 बर्ष की जेल तक हो सकता है. यह दोनों एक साथ नहीं हो सकता है, लेकिन आजकल फेसबुक, व्हाट्सएप, समाचार पत्रों और तमाम सोशल साइटों पर जगह जगह-जगह खेती योग्य उपजाऊ भूमि की प्लाटिंग कर प्रचार प्रसार किया जा रहा है. जमीन लेने वाले लोग इस गोरखधंधे में शामिल लोगों के जाल में फंस प्लाट खरीद ले रहे हैं. कुछ तत्काल घर बनवाने का प्रयास कर रहें तो कुछ दो चार साल बाद, लेकिन जब मकान बनवाने जाते तो पता चलता है कि यह प्लाट इस तरह की जगह पर है कि वहां कुशीनगर विकास प्राधिकरण से वहां नक्शा ही नहीं पास हो सकता. कुछ तो प्लाटिंग कुशीनगर ग्रीन लैंड एरिया में ही प्लाटिंग कर बेच रहे हैं और बहुत जमीनें बिक भी गई.

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लोग घर भी बनवा लिए वह भी बिना कुशीनगर विकास प्राधिकरण से नक्शा पास के ही उनको तब पता चलता जब कोई विकास प्राधिकरण का कर्मचारी नोटिस लेकर जाता है, लेकिन वह कार्रवाई नोटिस तक ही सीमित रह जाता विकास प्राधिकरण का कर्मचारी ले देके मामले का निस्तारण कर देता और ग्रीन लेंड घोषित एरिया में घडल्ले से जमन आवासीय प्रलाप के लिए खरीदी बेची जा रही है. इसमें सबसे बड़ी कमी कसया रजिस्ट्रार कार्यालय की है. जिस एरिया का जमीन हैं जानते हुए कि वहां आवासीय नक्सा पास नहीं हो सकता तो आवासीय रजिस्ट्री कैसे कर दे रहे हैं. इस तरह आवास के लिए जमीन खरीदने वाला ठगी का शिकार हो रहे है और प्लाटिंग करने वाले से लेकर जमीन मालिक मालामाल होकर मौज कर रहे हैं और जमीन खरीदने वाले तहसील से लेकर जिले तक चक्कर काट रहे हैं. सबसे बड़ी बात ये हैं कि प्लाटिंग करने वालों का किसी भी सरकारी विभाग से इनके प्रोजेक्ट का नक्शा नहीं पास होता है. नियमों के मुताबिक नक्शा नहीं पास होने पर कोई प्लाट बेचना तो दो अपने प्रोजेक्ट का प्रचार-प्रसार भी नहीं कर सकता है. ऐसा करना पूर्णरूपेण गैरकानूनी है.

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कुशीनगर के कसया पडरौना क्षेत्र में जितनी भी जमीनें प्लाटिंग हुई हैं. इनके किसी प्रोजेक्ट रेरा में रजिस्टर्ड नहीं है बिना रेरा में रजिस्ट्रेशन के प्रोजेक्ट का प्रचार प्रसार करना बेचना बड़ा गुनाह माना गया है. इसके लिए कानून में कठोर सजा के प्रावधान है. लेकिन इसका अनुपालन न तो प्लाटिंग करनें वाले कर रहें और ना ही इसका अनुपालन अधिकारी करा पा रहें जिसके चलते आम लोग ठगी के शिकार हो ही रहे हैं. राजस्व की बड़ी क्षति तो हो रही है. तहसील और जिले पर राजस्व सम्बन्धी विवाद के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है. लेकिन प्रशासन इससे बेखबर होकर आंख बंद किए हुए हैं.

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