फीचर स्टोरी। ये तस्वीरें खिलखिलाती हैं, ये तस्वीरें सुकून परोसती हैं. ये तस्वीरें सपनों में बुने उम्मीद को हकीकत में बदलती हैं. यहां खुशियों का आशियाना है, जहां गरीब के आंगन में रौनक छाई है. छत्तीसगढ़ में विकास की बयार बह रही है. बघेल सरकार विकास के रास्ते सुकून परोस रही है, जिसका जीता जागता उदाहरण ये खिलखिलाती और निखरती तस्वीरें हैं, जो ग्रामीणों को छप्परवास से निकालकर PM आवास में सुकून की नींद दे रही हैं. सपनों के आशियाने हकीकत में बदल रहे हैं. ग्रामीणों की जिंदगी में खुशिहाली आ रही है. झोपड़ी वाले घरों से निजात मिल रही है.
बघेल सरकार की पहल ने सपनों का महल
ये कहानी जशपुर के पुतली बाई की है, जो पहले छप्परवाले घर में रहकर जीनवन यापन कर रही थी, लेकिन बघेल सरकार की पहल ने सपनों के महल को हकीकत में उकेर दिया. पुतली बाई के पक्के मकान का सपना साकार कर दिया. आवास मिलने से परिवार खुश है. पुतली बाई और परिवार वालों ने छत्तीसगढ़ शासन को धन्यवाद दिया है.
छांव पक्के हो रहे तो सोने पे सुहागा
कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल के मार्गदर्शन और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जितेन्द्र यादव के दिशा-निर्देश में प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ जिले के हितग्राहियों को दिया जा रहा है. प्रत्येक व्यक्ति का एक सपना होता है कि स्वयं के लिए एक छांव की व्यवस्था हो जाए. अगर वही छांव पक्के हो रहे तो सोने पे सुहागा.
पक्के मकान का सपना साकार
इसी कड़ी में प्रधानमंत्री आवास योजना के कारण जशपुर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत आरा के निवासी पुतली बाई के पक्के मकान का सपना साकार हुआ है. पुतली बाई के पति का 2007 में देहांत हो गया. इसके बाद कोई आय का साधन ना होने के कारण आवास बना पाना पुतली बाई के लिए पहाड़ खोदने का काम था. कच्ची मिट्टी और छप्पर वाला घर था, जिसके कारण गिरने का डर बना रहता था.
1 लाख 30 हजार की सहायता राशि
पुतली बाई ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास सूची में उनका नाम शामिल में होने और शीघ्र पक्का आवास मिलने की जानकारी ग्राम पंचायत से मिलने पर उनके खुशी का ठिकाना नहीं रहा. पुतली बाई का 2018-19 में आवास आवंटित हुआ. पुतली बाई को आवास बनाने के लिए 1 लाख 30 हजार राशि मिली. इसके साथ ही मनरेगा के माध्यम से कुल 16 हजार 720 मजदूरी भुगतान भी प्राप्त हुआ.
सपने की तरह था पक्का मकान
एस.ई.सी.सी. 2011 के सर्वे सूची एवं ग्राम पंचायत के ग्राम सभा में अनुमोदन उपरांत पीएमएवाई ग्रामीण योजना अंतर्गत पक्के मकान मिलना पुतली बाई के लिए एक सपने की तरह था. पुतली बाई ने अपनी तरफ से कुछ राशि लगाकर आवास का निर्माण कराया, जिस कारण आज पुतली बाई के साथ इनका एक बेटा, बहू और 2 नाती पक्के मकान में निवास कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्हें शासन जनकल्याणकारी योजना स्वच्छ भारत मिशन से शौचालय प्राप्त हुआ है, जिससे वे कुशलतापूर्वक जीवन-यापन कर रहे हैं.
बरसात में सांप-बिच्छू का रहता था डर
उनकी स्वयं की मेहनत से मात्र गुजारा बस होता था. कच्चे मकानों में रहने से बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता था. जैसे हर वर्ष कच्चे आवास को मरम्मत करना पड़ता था. साथ ही खर्च भी होता था और बरसात में सांप-बिच्छू का डर बना रहता था. उन्होंने कहा कि जब से आवास मिला है, उनका परिवार भी बहुत खुश हैं और अब वे निश्चित होकर काम-काज के लिए बाहर जाते हैं. आवास मिलने से पुतली बाई और इनके परिवार वालों ने खुशी जाहिर करते हुए छत्तीसगढ़ शासन और जिला प्रशासन को धन्यवाद दिया है.
मोहला : पक्का घर बनने पर बारिश की परिशानियों से नाथूराम हुए चिंता मुक्त
वहीं मोहला के नाथूराम को भी पक्का आवास निर्माण के लिए राज्य शासन से आर्थिक मदद मिली है. नये पक्के मकान में नाथूराम परिवार के साथ खुशी से जीवन यापन कर रहे हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के माध्यम से सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लोगों को खुद का पक्का मकान बनाने के लिए आर्थिक सहायता दी जा रही है.
ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बहुत से परिवार कच्चे मकान में रहते हैं. गांव में रहने वाले लोग गरीबी के कारण अपना पक्का मकान नहीं बना पाते हैं. वे अपना खुद का पक्का घर बनाना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वे अपने पक्के घर का सपना पूरा नहीं कर पाते हैं. पूरी जिंदगी कच्चे मकान में बिता देते हैं. उनके इसी सपने को पूरा करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा ग्रामीण इलाकों में रहने वालों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण चलाई जा रही है.
सुविधाजनक जीवन से खुश हैं सुंदरपुर की देवकुंवर
कोरिया जिले के ग्राम पंचायत सुंदरपुर में अपने पति बुधराम के साथ वर्षों से निवासरत देवकुंवर के परिवार में सबकुछ सामान्य नहीं था. एक तरफ रोजी-रोटी की चिंता थी, तो दूसरी ओर उनके पास अपना पक्का मकान भी नहीं था. जीवन में कठिनाईयों के दौर से गुजरते हुए अकुशल श्रम पर आधारित इस परिवार का नाम सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना के दौरान वंचित वर्ग की सूची में दर्ज किया गया. इस आधार पर इन्हें वर्ष 2018 -19 में वरीयता के आधार पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पात्र सूची में दर्ज कर अनुदान प्रदान किया गया.
पहली किश्त के तौर पर 35 हजार रूपए का अनुदान मिलने के बाद देवकुंवर और उनके पति बुधराम ने मेहनत के साथ पक्का आवास बनाने का सपना पूरा करने का काम प्रारंभ किया. मकान के प्रगति के आधार पर उन्हे दूसरी तीसरी और अंतिम किश्त की राशि के तहत कुल एक लाख तीस हजार रूपए की अनुदान राशि प्रदान की गई.
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अनुदान की राशि का किफायत से उपयोग करते हुए इस दंपत्ति ने अपने मेहनत की कमाई भी मकान के निर्माण में लगाई. देवकुंवर ने बताया कि उनका परिवार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रेाजगार गारंटी योजना के तहत अकुशल श्रम के लिए पंजीकृत है और इससे ही उनके जीवन में अतिरिक्त आय प्राप्त होती है.
इन्होंने जो रकम बचाकर जमा की थी उससे अपने पक्के मकान का मुख्य कक्ष भी सुंदर बनाने के लिए टाइल्स भी लगवाई है. अब दोनों पति पत्नी पक्के आवास में सुकून का जीवन जी रहे हैं. इस मदद के लिए यह दंपत्ति राज्य शासन एवं प्रशासन को आभार और धन्यवाद देता है.
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