अभिषेक सेमर, तखतपुर। क्या अजीब खेल है न इस सिस्टम का. कभी जिंदा इंसान को मुर्दा कर देते हैं, तो कभी मुर्दे को जिंदा बता देते हैं. फिर जब वही कागजों में जिंदा और मुर्दा इंसान सरकार दफ्तरों का चक्कर काटता है तो पैरों तले जमीन खिसक जाती है. ऐसा ही कुछ मामला बिलासपुर के तखतपुर से सामने आया है. जहां जिंदा किसानों को सिस्टम ने मार डाला. किसान कह रहे हैं कि साहब हम जिंदा हैं. बस जिम्मेदारों ने कागजों में हमारा कत्ल कर डाला. बस फरियाद लेकर खुद को जिंदा साबित करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. PM मोदी से किसानों ने गुहार लगाई है.
दरअसल, हाल ही में ग्राम पंचायत खम्हरिया के सरपंच नरेन्द्र ध्रुव ने कलेक्टर समेत अन्य को ज्ञापन सौंप कर गांव के मुर्दा किसानों के जीवित होने का हाल सुनाया. तखतपुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत खम्हरिया के सरपंच ने धृतराष्ट्र जैसे अधिकारियों के कारनामों की पोल खोली है. सरपंच ने बताया कि गांव के 400 किसान खेती किसानी का कार्य करते हैं, जिसमें अधिकतर किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ मिलता था, लेकिन पिछले एक साल से करीब 68 किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है.
किसानों को कागजों में मार डाला !
सरपंच ने बताया कि जब किसानों ने लाभ नहीं मिलने की जानकारी च्वाइस सेंटर में ली, तब किसानों के पैरों तले जमीन खिसक गई. सिस्टम ने इन किसानों की मौत आने से पहले ही मार डाला है. यही वजह है कि अब इन किसानों की ना तो कोई फरियाद सुनी जा रही और ना ही कोई गुहार.
जीवित ‘मुर्दों’ ने बताई सिस्टम की नाकामी
इस संबंध में ‘मृत’ किसान अरविंद ध्रुव ने बताया कि छत्तीसगढ़ का एक ऐसा गांव है, जहां सिस्टम की फेलियर के कारण पहले 68 से अधिक किसानों को मृत घोषित कर दिया गया था, जिसमें अभी भी 37 किसान ऐसे हैं, जो आज भी मृत घोषित हैं. LALLURAM की टीम ने अरविंद ध्रुव से जब बातचीत की, तब उसने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि मैं वर्षों से शासन की योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहा हूं. लोग मुझे मुर्दा ही मानने लगे हैं.
गांव में मुर्दा होने का सम्मान- किसान
अरुण ध्रुव बताते हैं कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में देशभर के किसानों को सम्मान निधि का लाभ मिल रहा है. सिस्टम की गड़बड़ी के कारण हमें जीवित होने के बावजूद मुर्दा होने का सम्मान दिया जा रहा है, जिससे मैं और मेरा परिवार पूरी तरह से व्यथित हैं. हैरत तो लोग तब पड़ जाते हैं, जब हम अपने जिंदा होने का रिकॉर्ड जिम्मेदारों की दहलीज पर लेकर पहुंचते हैं.
जिंदा होने का अधिकार चाहिए- किसान
किसान ने कहा कि जिम्मेदार हमारी शिकायत को सुनते ही हमें देखते रह जाते हैं. और उनके होश उड़ जाते हैं. सिर पर हाथ रख कर हैरानी में डूब जाते हैं. हमें तो न्याय चाहिए और रिकॉर्ड दुरुस्त करा कर जिंदा होने का अधिकार चाहिए.
मोदी सरकार की योजना से छलावा
बता दें कि केंद्र के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार किसानों को समृद्ध और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए देश में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजन चला रही हैं. इस योजना से सीधे किसानों को आर्थिक लाभ पहुंच रहा है, जिसमें किसानों को 6 हजार रुपये किसान सम्मान निधि योजना के तहत चार -चार महीने करके दो -दो हजार की तीन क़िस्त उनके खातों में भेज रही है, जिससे किसानों को आर्थिक मदद और कृषि कार्य में सहूलियत हो रहा है, लेकिन जिम्मेदारों की नाकामी ने किसानों को मार डाला.
मर चुके हैं सारे के सारे इसलिए हो रहे हैं लाभ से लगातार बाहर- किसान
गौरतलब है कि गांव के जिन किसानों को यह सिस्टम मुर्दा बता रही है और यह जब अपनी जीवित होने का प्रमाण लेकर दफ्तर की दहलीज पर पहुंच रहे हैं, तो लोगों के पांव के नीचे से जमीन खिसक जा रही है. यह जीवित लोग मुर्दे की तरह जीते हुए सिस्टम को कोस रहे हैं, लेकिन अब देखना दिलचस्प होगा की इन मुर्दों की सुनवाई होगी या नहीं या लाभ मिलेगा या नहीं ?.
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