PM Modi Brunei Visit: पीएम नरेंद्र मोदी तीन दिवसीय ब्रुनेई और सिंगापुर की यात्रा पर हैं। पीएम मोदी मंगलवार को ब्रुनेई पहुंचे। यहां उनका ग्रैंड वेलकम हुआ। प्रधानमंत्री आज ब्रुनेई के शीर्ष नेतृत्व के साथ वार्ता करेंगे और द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के तरीकों पर चर्चा करेंगे। पीएम मोदी ब्रुनेई के सुल्तान हसनल बोल्कैया के साथ लंच करेंगे। ब्रुनेई के साथ संबंधों को नया आयाम देकर पीएम मोदी आज ही सिंगापुर के लिए रवाना हो जाएंगे।

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पीएम मोदी ब्रुनेई यात्रा के पहले दिन ब्रुनेई की ऐतिहासिक और भव्य उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद (Omar Ali Saifuddien Mosque) देखने गए। पीएम मोदी ने सुल्तान उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद के दौरे की तस्वीरें भी शेयर की हैं। ब्रुनेई के 28वें सुल्तान के नाम पर बनी यह मस्जिद देश की भव्यता का प्रतीक है। इस मस्जिद का ताजमहल और मुगल से खास कनेक्शन है क्योंकि इस मस्जिद की शैली ताजमहल जैसी मुगलकालीन इमारतों से प्रभावित है।

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इससे पहले पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में कहा, ब्रुनेई दारुस्सलाम पहुंच गया हूं। हमारे देशों के बीच मजबूत संबंधों, खासकर वाणिज्यिक और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। मैं हवाई अड्डे पर मेरा स्वागत करने के लिए क्राउन प्रिंस हाजी अल-मुहतदी बिल्लाह को धन्यवाद देता हूं।

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उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद का इतिहास

उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद ब्रुनेई की राजधानी बंदर सेरी बेगवान में है। यह देश की दो मस्जिद नेगारा या राष्ट्रीय मस्जिदों (दूसरी जामे अस्र हसनिल बोल्किया मस्जिद) में से एक है। साथ ही यह ब्रुनेई का एक राष्ट्रीय स्थलचिह्न भी है। यह देश की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक है। इसका नाम उमर अली सैफुद्दीन तृतीय (1914-1986) के नाम पर रखा गया है, जो ब्रुनेई के 28वें सुल्तान और वर्तमान सम्राट सुल्तान हसनल बोल्किया के पिता थे। यह मस्जिद ब्रुनेई में इस्लामी आस्था के प्रतीक के रूप में कार्य करती है।

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मस्जिद का निर्माण

मस्जिद को बनाने में लगभग पांच साल लगे और उस समय इसकी लागत 1 मिलियन पाउंड (11,00,07,700 रुपये) से अधिक थी। इस मस्जिद का निर्माण मलेशिया की आर्किटेक्चुअल फर्म बूटी एडवर्ड्स एंड पार्टनर्स ने की थी। इस मस्जिद का निर्माण कार्य 4 फरवरी 1954 को शुरू हुआ था। इसके निर्माण में 1,500 टन कंक्रीट और 700 टन स्टील का उपयोग किया गया। इस मस्जिद के नींव की गहराई 80-120 फीट (24-37 मीटर) के बीच है। मस्जिद में इटली का संगमरमर लगा है तो शंघाई का ग्रेनाइट भी इस्तेमाल हुआ है। 60 के दशक में निर्माण के दौरान, मस्जिद के लिए इंग्लैंड से रंगीन कांच और झूमर मंगवाए गए। मस्जिद में बेल्जियम और सऊदी अरब में हाथ से बनाए गए कालीन बिछे हैं। उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद की शैली ताजमहल जैसी मुगलकालीन इमारतों से प्रभावित है।

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कब हुआ था मस्जिद का उद्घाटन

उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद का उद्घाटन 26 सितंबर 1958 को सुल्तान उमर अली सैफुद्दीन तृतीय के 42वें जन्मदिन समारोह के साथ किया गया था। इसकी वास्तुकला भारतीय मुगल साम्राज्य की वास्तुकला और इतालवी पुनर्जागरण शैली से प्रभावित है। इस मस्जिद में हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस डिजाइन की संकल्पना सबसे पहले सुल्तान उमर अली सैफुद्दीन तृतीय ने की थी और फिर इसे इतालवी मूर्तिकार और सजावटी पत्थर के ठेकेदार, कमीशन आर्किटेक्ट रुडोल्फो नोली ने विकसित किया था।

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