PM Modi four villains: नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए 9 जून को प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ले ली है। सफेद कुर्ता और चूड़ीदार पायजामा व नीली जैकेट पहने 73 वर्षीय मोदी ने ईश्वर के नाम पर शपथ ली। जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) के बाद मोदी लगातार तीसरी बार पीएम बनने वाले देश के दूसरे प्रधानमंत्री बन गए हैं। वहीं लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections Result) में मोदी की पार्टी बीजेपी अपने दम पर अकेले बहुमत लाने में विफल रही। बीजेपी इस बार सिर्फ 240 सीटें लाने में कामयाब रही। हालांकि अपने सहयोगी पार्टियों के समर्थन के बल पर मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने में कामयाब रहे।
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बीजेपी ने इस चुनाव में ‘अबकी बार 400 पार’ का नारा दिया था। हालांकि 400 तो बहुत दूर की बात है। बीजेपी अपने दम 250 सीटें भी नहीं ला सकी और 240 सीटों पर सिमट गई। वहीं एनडीए सिर्फ 293 सीटें जीतने में कामयाब हो पाई।
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बीजेपी की सीटें कम जीतने के पीछे संविधान को लेकर बीजेपी उम्मीदवारों दिए गए विवादित बयानों को उत्तरदायी माना गया है। हम उन नामों को बता रहे हैं, जो इस चुनाव में पीएम मोदी के खलनायक साबित हुए। ये तो चुनाव हारने के साथ ही मोदी को कभी न भूल पाने वाला गम दे गए। आपको बताते हैं उन नामों के बारे में-
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लल्लू सिंह (Lallu Singh)
भाजपा ने 2019 में यूपी की 80-लोकसभा सीटों में से 62 पर जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार उसका प्रदर्शन बहुत खराब रहा और वह केवल 33 सीटें ही जीत पाई। अयोध्या में हार पार्टी के लिए सबसे दुखद रही। उसने अयोध्या क्षेत्र की सभी पांच लोकसभा सीटों पर हार का सामना किया, जिसमें फैज़ाबाद भी शामिल है, जहां अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर में इस वर्ष जनवरी महीने में पीएम मोदी ने खुद राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की थी। ये हार बीजेपी के लिए सदियों तक कभी न भूलने वाला गम दे गया क्योंकि बीजेपी राम मंदिर बनाने के बाद यहां से अपनी जीत सुनिश्चित मानकर चल रही थी लेकिन इस लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी के सबसे बड़े खलनायक के रूप में लल्लू सिंह उभरे हैं। अयोध्या से बीजेपी उम्मीदवार लल्लू सिंह को समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अवधेश प्रसाद के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा। चुनाव के दौरान लल्लू सिंह का एक बयान चर्चाओं में रहा था। उन्होंने कहा था कि बीजेपी को नया संविधान बनाने के लिए संसद में दो-तिहाई बहुमत की जरूरत पड़ेगी। इसका गलत असर एससी/एसटी मतदाताओं पर पड़ा, क्योंकि इस सीट पर सबसे ज्यादा 22% दलित वोटर है। वहीं मुस्लिमों की संख्या भी 18% है। चुनाव में विवादस्पद बयानों के कारण दलित और मुस्लिम का पूरा वोट सपा को पड़ गया और जीत गई। इस हार की चर्चा देश के साथ-साथ इंटरनेशल मीडिया में भी खूब रही।
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अनंत हेगड़े (Anantkumar Hegde)
कर्नाटक की उत्तर कन्नड़ लोकसभा सीट से छह बार सांसद रहे और बीजेपी नेता अनंत हेगड़े ने भी संविधान को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि अगर संविधान में संशोधन करना है, तो NDA को 400 सीटों की जरूरत पड़ेगी। उनके इस बयान के बाद बीजेपी ने किनारा कर लिया और उनका टिकट भी काट दिया था। साथ ही हेगड़े ने मुसलमानों को लेकर भी विवादित बयान दिया था। हेगड़े ने कहा था कि हम BJP और संघ परिवार के सदस्य हैं। अगर हम यहां रहेंगे तो दुनिया में शांति होगी। अगर हम नहीं हैं, तो विश्व शांति भी नहीं है। मैंने पहले बताया था कि जब तक इस्लाम रहेगा, विश्व शांति नहीं होगी। उसके बाद उन्होंने मेरे खिलाफ मामला दायर किया। मैं इन सब से नहीं डरता। इसे विपक्षी पार्टियों ने राजनीतिक मुद्दा बनाकर भुनाया और जीत हासिल भी की।
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ज्योति मिर्धा (Jyoti Mirdha)
राजस्थान की नागौर सीट से बीजेपी प्रत्याशी ज्योति मिर्धा ने एक चुनावी रैली के दौरान संविधान को बदलने की बात कही थी। उन्होंने कहा था, ”देश के हित में कई कठोर निर्णय लेने होते हैं। उनके लिए हमें कई संवैधानिक बदलाव करने पड़ते हैं। इसका खामियाजा बीजेपी और मिर्धा को अपनी हार झेल कर चुकानी पड़ी। राजस्थान में पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले ज्योति मिर्धा कांग्रेस को छोड़ बीजेपी में शामिल हो गईं थी। वहीं इसके बाद अब लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने नागौर से उन्हें अपना उम्मीदवार घोषित किया था।
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हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma)
हिमंत बिस्व सरमा: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कहा था कि बीजेपी अगर 400 के पार पहुंच जाएगी, तब मथुरा में कृष्ण जन्मस्थान और काशी में ज्ञानवापी मस्जिद के स्थान पर बाबा विश्वनाथ का भव्य मंदिर बनाया जाएगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि पूरे देश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के लिए NDA को 400 से अधिक सीटें जीतनी होगी। इस बयान को विपक्ष ने राजनीतिक मुद्दा बनाया और लोगों के मन में यह डालने में कामयाब हो गए कि बीजेपी आएगी तो मुसलमानों पर जुल्म होगा। इसका असर यह हुआ कि इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मुस्लिमों का वोट प्रतिशत पिछले चुनाव की अपेक्षा 6-9 से घटकर 1-2 फीसदी तक पहुंच गया।
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