नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नए संसद भवन की आधारशिला रखी. नया संसद भवन 20 हजार करोड़ रुपए की लागत से दिल्ली में बनने वाले सेंट्रल विस्टा का हिस्सा है, जिसमें राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन किमी के राजभवन के ईद-गिर्द स्थित तमाम शासकीय भवनों को समाहित किया जाएगा.

सर्वधर्म सभा के साथ शुरू हुए भूमिपूजन कार्यक्रम के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें याद रखना है कि वो लोकतंत्र जो संसद भवन के अस्तित्व का आधार है, उसके प्रति आशावाद को जगाए रखना हम सभी का दायित्व है. हमें ये हमेशा याद रखना है कि संसद पहुंचा हर प्रतिनिधि जवाबदेह है.ये जवाबदेही जनता के प्रति भी है और संविधान के प्रति भी है.

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उन्होंने कहा कि पॉलिसी में अंतर हो सकता है, पॉलिटिक्स में भिन्नता हो सकती है, लेकिन हम जनता की सेवा के लिए हैं, इस अंतिम लक्ष्य में कोई मतभेद नहीं होना चाहिए. वाद-संवाद संसद के भीतर हों या संसद के बाहर, राष्ट्रसेवा का संकल्प, राष्ट्रहित के प्रति समर्पण लगातार झलकना चाहिए.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया में 13वीं शताब्दी में मैग्नाकार्टा से पहले ही 12वीं शताब्दी में भगवान बसवेश्वर ने लोकसंसद की शुरुआत कर दी थी. दसवीं शताब्दी में तमिलनाडु के एक गांव में पंचायत व्यवस्था का वर्णन है. उस गांव में आज भी वैसे ही महासभा लगती है, जो एक हजार साल से जारी है.

बनेगा षटकोणीय संसद भवन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस संसद भवन का भूमिपूजन किया है, उसका निर्माण आने वाले समय में 971 करोड़ की लागत से 64,500 स्केयर मीटर में होगा. चार मंजिला यह इमारत षटकोणीय होगा. उम्मीद की जा रही है कि भवन का निर्माण 2022 में भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस से पहले पूरा हो जाएगा. भवन में लोकसभा चेम्बर में 888 और राज्यसभा में 384 सदस्यों के बैठने की सुविधा होगी, वहीं संयुक्त सभागार में 1,224 लोगों के बैठने की व्यवस्था होगी.