पूर्णिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 15 सितंबर को प्रस्तावित पूर्णिया रैली से पहले बिहार में राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। रैली की तैयारी में शिक्षकों को लगाए जाने को लेकर बक्सर से सांसद सुधाकर सिंह ने सवाल खड़े किए हैं। सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक पत्र के जरिए उन्होंने राज्य सरकार और शिक्षा व्यवस्था पर तीखा प्रहार किया है। मामला बनमनखी अंचल कार्यालय द्वारा जिला शिक्षा पदाधिकारी को भेजे गए एक पत्र से सामने आया है। पत्र में जीविका दीदियों को रैली स्थल तक लाने के लिए 200 बसों की व्यवस्था का जिक्र है। इन बसों में प्रत्येक के साथ एक-एक शिक्षक को सुरक्षा और समन्वय के लिए नियुक्त किया जाना है। इससे शिक्षा से इतर कार्यों में शिक्षकों की ड्यूटी लगाए जाने पर सवाल उठने लगे हैं।

शिक्षक अब खलासी बनेंगे, तो पढ़ाएंगे कब?

सांसद सुधाकर सिंह ने इस पत्र को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा करते हुए लिखा शिक्षक जनगणना, मतगणना, रैलियों की भीड़ और अब बस में खलासी का काम भी करेंगे। तो पढ़ाएंगे कब? उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी सीधे सवाल पूछते हुए कहा कि शिक्षकों से लगातार गैर-शैक्षणिक काम लिया जा रहा है जो शिक्षा के मूल उद्देश्य के खिलाफ है।

शिक्षकों की कमी के बीच गैर-शैक्षणिक कार्य

सांसद ने कहा कि राज्य में पहले से ही शिक्षकों की भारी कमी है। ऊपर से जो शिक्षक उपलब्ध हैं उन्हें भी चुनावी ड्यूटी, सर्वेक्षण और अब रैली जैसे राजनीतिक आयोजनों में लगा दिया जाता है। इससे स्कूलों में पढ़ाई पर सीधा असर पड़ता है और बच्चों का भविष्य दांव पर लगता है।

बच्चों के भविष्य से खिलवाड़

इस पूरे मामले पर विपक्षी दलों ने भी सरकार की आलोचना की है। विपक्ष का कहना है कि शिक्षा एक संवेदनशील और बुनियादी जिम्मेदारी है लेकिन सरकार इसे प्राथमिकता देने के बजाय शिक्षकों को राजनीतिक गतिविधियों में लगा रही है। यह बच्चों के भविष्य के साथ सीधा खिलवाड़ है।