वाराणसी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को शिक्षा को 21वीं सदी के आधुनिक विचारों से जोड़ने की जरूरत पर जोर दिया. तीन दिवसीय अखिल भारतीय शिक्षा समागम के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का मूल उद्देश्य शिक्षा को संकीर्ण विचार प्रक्रिया से बाहर लाना और इसे भविष्य के विचारों के साथ एकीकृत करना है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें ना केवल डिग्री धारकों को तैयार करना चाहिए, बल्कि मानव संसाधन को भी इस तरह विकसित करना चाहिए, जिससे देश भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार हो सके. उन्होंने कहा, “मुझे यकीन है कि भारत जल्द ही शिक्षा के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में उभरेगा। इसके लिए, हम विश्व स्तर के संस्थान बना रहे हैं जो युवाओं के लिए अवसर पैदा करने में मदद करेंगे. हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि एनईपी फाइलों में सिर्फ एक और दस्तावेज नहीं है, लेकिन एक रोडमैप जो हमारी शिक्षा प्रणाली का मार्गदर्शन करता है.”
उन्होंने आगे कहा कि आज जो क्षेत्र और अवसर पहले स्क्लेरोटिक थे, वे अब सभी के लिए खोले जा रहे हैं. कई हाशिए के समूह अब अभूतपूर्व अवसरों का आनंद ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शैक्षिक नीति (एनईपी) के माध्यम से हमारा लक्ष्य नियोक्ता बनाना है. प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृत महोत्सव के सपनों को पूरा करने की जिम्मेदारी शिक्षा व्यवस्था और युवाओं की है. उन्होंने कहा कि भारत न केवल कोविड महामारी से तेजी से उबरा, बल्कि यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया. उन्होंने कहा, “हम अब दुनिया के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम हैं.”
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इससे पहले, मेहमानों का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं वाराणसी का सांसद हूं और इस मायने में मैं आपका मेजबान हूं और आप मेरे मेहमान हैं. मुझे यकीन है कि आपके प्रवास के दौरान आपको कोई असुविधा नहीं होगी.” प्रधानमंत्री ने अक्षय पात्र मिड डे मील रसोई का भी उद्घाटन किया, जिसे एक बार में एक लाख बच्चों को स्वच्छता से तैयार भोजन उपलब्ध कराने के लिए डिजाइन किया गया है. उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन भी किया.
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