नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गोरखपुर में रविवार 24 फरवरी को किसान सम्मान निधि योजना के तहत 6000 रुपये सहायता देने की औपचारिक शुरुआत करेंगे. इसी दिन पीएम-किसान पोर्टल पर अपलोड किए गए पात्र किसानों को पहली किस्त जारी की जाएगी. फिलहाल, उन्हीं किसानों को इसका लाभ मिलेगा जिनका राज्यों के किसान सेवा पोर्टल पर पहले से रजिस्ट्रेशन है. लेखपाल ऐसे किसानों की लिस्ट गांव-गांव जाकर खुद वेरीफाई कर रहे हैं. उनके नाम, मोबाइल नंबर व आधार कार्ड का मिलान कर पात्र किसानों की लिस्ट कृषि विभाग को सौंप रहे हैं. विभाग के अधिकारी वेरीफाईड किसानों का डाटा पीएम किसान पोर्टल पर फीड करवा रहे है. यह काम लगभग पूरा हो चुका है.

जिन किसानों का डाटा फीड हो चुका है उनके खाते में 24 फरवरी को पहली किस्त के 2000 रुपये पहुंचने की उम्मीद है. 6000 रुपये सालाना किसान सहयोग राशि लेने के लिए आधार और मोबाइल नंबर देना होगा. अगर कोई वाकई किसान है और उसका नाम नहीं जुड़ा है तो उसे अपने लेखपाल से संपर्क करना होगा. लेखपाल के माध्यम से ही उसका नाम इस योजना में शामिल हो सकता है.

बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह मस्त का दावा है कि आजादी के बाद यह पहला मौका है जब आम बजट का 52 फीसदी हिस्सा गांव, गरीब और किसान को समर्पित है. किसानों की आय बढ़ाने का काम चल रहा है.

किसे मिलेगा लाभ

केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की ऑपरेशनल गाइडलाइन जारी कर दी है. जिसमें बताया गया है कि किसे लाभ मिलेगा और किसे नहीं.

लघु एवं सीमांत किसान परिवार:

इसकी परिभाषा में ऐसे परिवारों को शामिल किया गया है, जिनमें पति-पत्नी और 18 वर्ष तक की उम्र के नाबालिग बच्चे हों और ये सभी सामूहिक रूप से दो हेक्टेयर यानी करीब 5 एकड़ तक की जमीन पर खेती करते हों. यानी पति-पत्नी और बच्चों को एक इकाई माना जाएगा. जिन लोगों के नाम 1 फरवरी 2019 तक लैंड रिकॉर्ड में पाया जाएगा वही इसके हकदार होंगे.

लाभ के लिए कृषि विभाग में रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. प्रशासन उसका वेरीफिकेशन करेगा. इसके लिए जरूरी कागजात होने चाहिए. जिसमें रेवेन्यू रिकॉर्ड में जमीन मालिक का नाम, सामाजिक वर्गीकरण (अनुसूचित जाति/जनजाति), आधार नंबर, बैंक अकाउंट नंबर, मोबाइल नंबर देना होगा.

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यह योजना एक दिसंबर 2018 से लागू है, इसलिए 31 मार्च से पहले 2000 रुपये की पहली किस्त किसानों के अकाउंट में आ जाएगी. केंद्र सरकार का दावा है कि इससे 12 करोड़ किसानों को लाभ होगा. इस योजना पर सरकार 75 हज़ार करोड़ रुपए खर्च कर रही है. इसका लाभ उन किसानों  को मिलेगा जिनका नाम 2015-16 की कृषि जनगणना में आता है. सरकार ने पिछले साल इसे जारी किया था.

किसे नहीं मिलेगा लाभ

कृषि मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन के मुताबिक भूतपूर्व या वर्तमान में संवैधानिक पद धारक, वर्तमान या पूर्व मंत्री, मेयर या जिला पंचायत अध्यक्ष, विधायक, एमएलसी, लोकसभा और राज्यसभा सांसदों को इसका फायदा नहीं मिलेगा. हमारे 15.85 फीसदी सांसद खुद को किसान बताते हैं. विशेषज्ञों का दावा है कि ऐसे किसान 6000 वाली सहायता के हकदार नहीं होंगे. योजना का लाभ लेने के लिए और भी कई कंडीशन अप्लाई की गई हैं.

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के मुताबिक 2006-07 से 2014-15 तक 1 करोड़ से ज्यादा कृषि आय दिखाने वाले 2746 मामले आए हैं. बताया गया है कि इनमें से ज्यादातर नेता हैं, जो अपनी आय कृषि में दिखाते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे किसानों में ज्यादातर मंत्री, सांसद, विधायक और नेता होते हैं, ऐसे लोग इसका फायदा नहीं ले पाएंगे. शर्तें लगाकर सरकार असली किसानों को ही लाभ देना चाहती है.

केंद्र या राज्य सरकार में अधिकारी (मल्टी टास्किंग स्टाफ / चतुर्थ श्रेणी / समूह डी कर्मचारियों को छोड़कर) एवं 10 हजार से अधिक पेंशन पाने वाले किसानों को इसका लाभ नहीं मिलेगा. पेशेवर, डॉक्टर, इंजीनियर, सीए, वकील, आर्किटेक्ट, जो कहीं खेती भी करता हो उसे इस लाभ का हकदार नहीं माना जाएगा. लास्ट वित्तीय वर्ष में इनकम टैक्स का भुगतान करने वाले इस लाभ से वंचित होंगे.