Bihar News: बिहार के सारण जिले में स्थित मढ़ौरा रेल कोच फैक्ट्री से एक बड़ी खबर सामने आई है. इस फैक्ट्री में बनी रेल कोच अब अफ्रीका के देशों को निर्यात की जाएगी. यह बिहार के साथ-साथ भारत के लिए गर्व की बात है, क्योंकि यह कदम न केवल बिहार की औद्योगिक क्षमता को दर्शाता है, बल्कि देश की रेल तकनीक को वैश्विक स्तर पर भी पहचान दिलाएगा.
गिनी गणराज्य को निर्यात करेगा इंजन
बिहार के सारण में बने रेल कोच निर्यात के लिए तैयार हैं. रेल मंत्रालय अफ्रीका के गिनी गणराज्य को विश्व स्तरीय सुविधाओं वाले 150 स्वदेशी इंजन निर्यात करेगा. इन कोच में लोको पायलटों की सुविधा के लिए रेफ्रिजरेटर और माइक्रोवेव ओवन वाले वातानुकूलित केबिन शामिल हैं. बता दें कि रेल मंत्रालय अगले तीन सालों में अफ्रीकी देश को उन्नत इंजन उपलब्ध कराएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज, शुक्रवार को निर्यात के लिए पहले इंजन को हरी झंडी दिखाएंगे.
पीएम मोदी आज दिखाएंगे हरी झंडी
मढ़ौरा के रेल इंजन कारखाने में निर्मित रेल इंजन का पहला निर्यात अफ्रीकी देश गिनी गणराज्य के लिए किया जाएगा. प्रधानमंत्री वर्चुअल मोड में इसे हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे. इस कारखाने ने अब तक भारतीय रेलवे को 700 से अधिक रेल इंजन दिए हैं और अफ्रीकी देशों के लिए 143 रेल इंजन का करार किया है. निर्यात के लिए तैयार किए गए रेल इंजन को विशेष रूप से सजाया गया है.
इन कोच में लोको पायलटों की सुविधा के लिए रेफ्रिजरेटर और माइक्रोवेव ओवन वाले वातानुकूलित केबिन शामिल हैं. बता दें कि रेल मंत्रालय अगले तीन सालों में अफ्रीकी देश को उन्नत इंजन उपलब्ध कराएगा.
1,000 मालवाहक इंजनों का होगा निर्माण
वैश्विक लोकोमोटिव निर्माता कंपनी वेबटेक के एक अधिकारी ने बताया कि, गिनी गणराज्य ने हमसे अपने ट्रेन चालक दल की सुविधा के लिए सभी जरूरी सुविधाएं प्रदान करने का अनुरोध किया है. ये इंजन वेबटेक द्वारा भारतीय रेलवे के सहयोग से बिहार के मढ़ौरा रेल कारखाने में बनाए जा रहे हैं. इस कारखाने की स्थापना 2015 में सरकार के साथ हुए एक समझौते के तहत की गई थी, जिसके अनुसार 10 वर्षों में भारतीय रेलवे के लिए 4,500 और 6,000 हॉर्सपावर के 1,000 मालवाहक इंजनों का निर्माण होगा.
2018 में पहला लोकोमोटिव हुआ था आपूर्ती
बता दें कि, मढ़ौरा रेल कारखाने से पहला लोकोमोटिव 2018 में आपूर्ति किया गया था, और तब से अब तक वेबटेक 700 से अधिक इंजन वितरित कर चुका है. कंपनी ने बताया कि गिनी से प्राप्त 150 इंजनों का ऑर्डर अतिरिक्त कार्य है, जिसके लिए कार्यबल बढ़ाया गया है ताकि भारतीय रेलवे को नियमित आपूर्ति सुनिश्चित हो सके. वेबटेक ने यह भी कहा कि उसने गिनी की पर्यावरणीय परिस्थितियों, जैसे भौगोलिक संरचना और तापमान, का विस्तृत अध्ययन किया है.
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