प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) आज से दो दिन (11-12 नवंबर) के भूटान दौरे पर हैं। रवाना होने से पहले पीएम मोदी ने अपने आधिकारिक X (ट्विटर) अकाउंट पर इस यात्रा की जानकारी देते हुए कहा कि यह दौरा भारत और भूटान के बीच दोस्ती और साझेदारी को नई ऊर्जा देगा। पिछले 11 वर्षों में यह प्रधानमंत्री मोदी का चौथा भूटान दौरा है। इससे स्पष्ट होता है कि भारत और भूटान के रिश्ते विश्वास, सहयोग और मजबूत राजनीतिक संबंधों पर आधारित हैं। अब सवाल यह है कि भूटान भारत के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है और इस दौरे का मुख्य एजेंडा क्या है?

भूटान के राजा से मुलाकात और ऊर्जा साझेदारी पर जोर

भूटान पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक, चौथे राजा जिग्मे सिंगये वांगचुक और प्रधानमंत्री त्शेरिंग तोबगे से होगी। इस दौरान दोनों देशों के बीच रणनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने पर बातचीत होगी। इस यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम पुनात्संगछू-2 जलविद्युत परियोजना (Punatsangchhu-II Hydropower Project) का उद्घाटन है। यह परियोजना भारत-भूटान ऊर्जा सहयोग का प्रमुख स्तंभ मानी जा रही है। इसके शुरू होने से भूटान को बिजली निर्यात से आय बढ़ेगी, जबकि भारत को स्वच्छ और स्थायी जलविद्युत ऊर्जा की विश्वसनीय आपूर्ति मिलेगी।

भूटान के चौथे राजा का 70वां जन्मदिन

यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भूटान अपने चौथे राजा जिग्मे सिंगये वांगचुक का 70वां जन्मदिन मना रहा है। इस अवसर ने यात्रा को विशेष सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्व दे दिया है। पीएम मोदी ने अपने संदेश में कहा कि भारत और भूटान के संबंध भरोसे, समझ और सद्भाव पर आधारित हैं। उन्होंने इसे भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति का आदर्श उदाहरण बताया।

भारत और भूटान के रिश्तों की जड़ें सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्तर पर गहरी हैं। दोनों देशों के बीच बौद्ध धर्म एक महत्वपूर्ण सेतु की तरह है। भारत से भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष (Piprahwa Relics) को पहले भूटान भेजा गया था, जिसे भूटान के नागरिकों ने अत्यंत श्रद्धा और भावनात्मक जुड़ाव के साथ देखा। यह साझा आध्यात्मिक धरोहर दोनों देशों की भावनात्मक निकटता को दर्शाती है। भूटान के लोग भारतीय टीवी शो, बॉलीवुड फिल्में, भारतीय भोजन और परिधानों को बेहद पसंद करते हैं। पर्यटन और व्यापार के स्तर पर भी लोगों के बीच संपर्क काफी सरल है. भारतीय नागरिक बिना पासपोर्ट और वीज़ा के भूटान की यात्रा कर सकते हैं, जिससे दोनों देशों के बीच लोग-से-लोग संबंध और मजबूत होते हैं।

ग्लोबल पीस प्रेयर फेस्टिवल में भी लेंगे हिस्सा

भारत के भूटान में राजदूत संदीप आर्य के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी अपनी यात्रा के दौरान भूटान में चल रहे ग्लोबल पीस प्रेयर फेस्टिवल में भी भाग लेंगे। यह एक बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जिसमें विश्व शांति, सद्भाव और मानवता की समृद्धि के लिए प्रार्थनाएं की जा रही हैं।

भूटान सरकार ने इस समारोह को अब तक का अभूतपूर्व आयोजन बताया है। इसमें भारतीय प्रधानमंत्री की मौजूदगी को विशेष महत्व दिया जा रहा है, क्योंकि यह न केवल दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंधों की गहराई को दर्शाता है, बल्कि एशिया में शांति और स्थिरता को लेकर भारत की भूमिका को भी रेखांकित करता है।

क्यों भारत के लिए अहम है भूटान

भूटान भले ही एक छोटा हिमालयी देश हो, लेकिन रणनीतिक दृष्टि से भारत के लिए इसकी भूमिका बेहद अहम है। करीब 7.5 लाख की आबादी वाला भूटान, भारत और चीन के बीच स्थित है, जो इसे एक तरह का बफर ज़ोन बनाता है। साल 2017 में डोकलाम विवाद के दौरान जब चीन ने भूटान के क्षेत्र में सड़क निर्माण की कोशिश की थी, तब भारतीय सेना ने उसे रोक दिया था। इस घटना ने साफ दिखाया कि भूटान भारत की सुरक्षा नीति में निर्णायक भूमिका निभाता है।

ऊर्जा साझेदारी भी दोनों देशों के रिश्ते की मजबूती का बड़ा आधार है। भूटान की लगभग 75% बिजली हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स से आती है और वह इसका बड़ा हिस्सा भारत को बेचता है, जिससे उसे विदेशी कमाई का लगभग 80% राजस्व प्राप्त होता है। यह आर्थिक मॉडल दोनों देशों को एक-दूसरे से और गहराई से जोड़ता है। इसके अलावा, भूटान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का सार्वजनिक रूप से समर्थन किया है, जो दोनों देशों के राजनीतिक भरोसे और कूटनीतिक साझेदारी को मजबूत करता है।

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