नई दिल्‍ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तीसरी वर्षगांठ के अवसर पर दिल्ली में प्रगति मैदान के भारत मंडपम में अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन किया. कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ‘पीएम श्री योजना’ के तहत धन की पहली किस्त जारी की. इस योजना के तहत केंद्र सरकार व राज्य सरकारों के साथ ही स्थानीय निकायों द्वारा प्रबंधित स्कूलों में से मौजूदा स्कूलों को मजबूत करके 14,500 से अधिक पीएम श्री स्कूलों की स्थापना का प्रावधान है. प्रधानमंत्री मोदी ने 12 भारतीय भाषाओं में 100 पुस्तकों का विमोचन भी किया.

इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क तैयार हो गया है. जल्द ही इसे लागू कर दिया जाएगा. पूरे देश में सीबीएसई स्कूलों में एक तरह का सिलेबस होगा. इसके लिए एनसीईआरटी नई पाठ्य पुस्तकें तैयार हो रही है. तीसरी से 12वीं कक्षा तक 130 विषयों की नई किताबें आ रही हैं. शिक्षा क्षेत्रीय भाषाओं में दी जा रही हैं इसलिए किताबें अब 22 क्षेत्रीय भाषाओं में होंगी. युवाओं को उनकी उनकी प्रतिभा की जगह उनकी भाषा के आधार पर आंकना उनके साथ सबसे बड़ा अन्याय है. मातृ भाषाओं में पढ़ाई के साथ अब भारतीय युवाओं के साथ असली न्याय की शुरुआत होने जा रही है.’

पीएम मोदी ने कहा, “दुनिया जानती है कि जब सॉफ्टवेयर तकनीक की बात आती है, तो भविष्य भारत का है. जब अंतरिक्ष तकनीक की बात आती है, तो भारत की क्षमता से मुकाबला करना आसान नहीं है. भारत का मॉडल ‘कम लागत’ और ‘सर्वोत्तम गुणवत्ता’ है.”

उन्होंने कहा, ‘युवाओं के पास भाषा का आत्मविश्वास होगा, तो उनका हुनर, उनकी प्रतिभा भी खुलकर सामने आएगी. सोशल साइंस से लेकर इंजीनियरिंग तक की किताबें भारतीय भाषाओं में आ रही हैं. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का लक्ष्य भारत को अनुसंधान एवं नवोन्मेष का केंद्र बनाना है.’

पीएम मोदी ने कहा कि एनईपी में पारंपरिक शिक्षा प्रणालियों और भविष्य की प्रौद्योगिकी को समान महत्व दिया गया है. एनईपी में देश का प्रयास ये है कि हर वर्ग में युवाओं को एक जैसे अवसर मिलें.

नई शिक्षा नीति में ट्रेडिश्नल नॉलेज सिस्टम से लेकर फ्यूजरिस्टिक टेक्नोलॉजी को बराबर अहमियत

पीएम मोदी ने कहा कि हमें ऊर्जा से भरी एक युवा पीढ़ी का निर्माण करना है. युवाओं के पास भाषा का आत्मविश्वास होगा, तो उनका हुनर, उनकी प्रतिभा भी खुलकर सामने आएगी. राष्ट्रीय शिक्षा नीति में ट्रेडिश्नल नॉलेज सिस्टम से लेकर फ्यूजरिस्टिक टेक्नोलॉजी तक को बराबर अहमियत दी गई है. जब सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी की बात आएगी, तो भविष्य भारत का है. जब स्पेस टेक की बात होगी तो भारत की क्षमता का मुकाबला आसान नहीं है. जब डिफेंस टेक्नोलॉजी की बात होगी तो भारत का लो कॉस्ट और बेस्ट क्वालिटी का मॉडल ही हिट होगा.

दुनिया भारत को नयी संभावनाओं की ‘नर्सरी’ के रूप में देख रही है, कई देश अपने यहां आईआईटी परिसर खोलने के लिए हमसे संपर्क कर रहे हैं.

  29 और 30 जुलाई को आयोजित होने वाला दो दिवसीय कार्यक्रम, शिक्षाविदों, क्षेत्र के विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, उद्योग प्रतिनिधियों, स्कूलों, उच्च शिक्षा और कौशल संस्थानों के शिक्षकों तथा छात्रों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने में अपनी अंतर्दृष्टि, सफलता की कहानियों और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और इसे आगे ले जाने के लिए रणनीतियों पर काम करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा.

उन्होंने कहा कि वैश्विक रैंकिंग में भारतीय शैक्षणिक संस्थानों की रैंकिंग बेहतर होती जा रही है. विदेश के विश्वविद्यालय भारत में अपना कैंपस खोलना चाह रहे हैं. हमें अपने संस्थानों को मजबूत करना होगा. अपने संस्थानों को इस क्रांति का केंद्र बनाना होगा.

जानें  अखिल भारतीय शिक्षा समागम के बारे में

अखिल भारतीय शिक्षा समागम में 16 सत्र शामिल होंगे, जिसमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शासन तक पहुंच, न्यायसंगत और समावेशी शिक्षा, सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूह के मुद्दे, राष्ट्रीय संस्थान रैंकिंग फ्रेमवर्क, भारतीय ज्ञान प्रणाली, शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण सहित अन्य विषयों पर चर्चा की जाएगी.