नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार वन नेशन, वन इलेक्शन की बात कह चुके हैं. अब इस दिशा में मोदी सरकार कदम उठाने जा रही है. एक कदम बढ़ाते हुए इस महीने हुई बैठक में पूरे देश में एक मतदाता सूची तैयार करने पर चर्चा की. इस सूची का इस्तेमाल लोकसभा, विधानसभाओं समेत सभी स्थानीय निकाय चुनाव के लिए हो सकता है. सरकार ने एक मतदाता सूची और एक साथ चुनावों के खर्च और संसाधन बचाने के तरीके के तौर पर पेश किया है. प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई बैठक में इससे जुड़े कानूनी प्रावधानों में बदलाव को लेकर चर्चा हुई. बता दें कि विधि आयोग ने भी 2015 में अपनी 255वीं रिपोर्ट में एक देश-एक चुनाव और साझा मतदाता सूची की सिफारिश की थी.

एक मतदाता सूची लाने के ये तरीके हैं

प्रधानमंत्री मोदी के प्रमुख सचिव पीके मिश्रा की अध्यक्षता में 13 अगस्त को बैठक हुई. इस बैठक में दो विकल्पों पर चर्चा हुई. पहला संविधान के अनुच्छेद 243के और 243जेडए में बदलाव किया जाए, ताकि देश में सभी चुनावों के लिए एक मतदाता सूची अनिवार्य हो जाए. दूसरा राज्य सरकारों को उनके कानून में बदलाव करने के लिए मनाया जाए, ताकि वे नगर निगमों और पंचायत चुनावों के लिए चुनाव आयोग की मतदाता सूची का इस्तेमाल करें.

बैठक में जी सुनील कुमार राज्यों को मनाने के पक्ष में दिखाई दिए. वहीं मिश्रा ने कैबिनेट सचिव से कहा है कि वे राज्यों से बात करें और एक महीने में अगले कदम को लेकर सुझाव दें. इस बैठक में कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के अलावा, विधान सचिव जी नारायण राजू, पंचायती राज सचिव सुनील कुमार और चुनाव आयोग के तीन प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.

 क्या कहता है  कानूनी प्रावधान

संविधान के अनुच्छेद 243के और 243जेडए राज्यों में स्थानीय निकायों के चुनाव से संबंधित हैं. इसके तहत राज्य चुनाव आयोग को मतदाता सूची (मतदाता सूची) तैयार कराने और चुनाव कराने के अधिकार दिए गए हैं. वहीं संविधान के अनुच्छेद 324(1) में केंद्रीय चुनाव आयोग को संसद और विधानसभाओं के सभी चुनावों के लिए मतदाता सूची तैयार करने और नियंत्रित करने के अधिकार दिए गए हैं. इसका मतलब है कि स्थानीय निकाय चुनाव के लिए आयोग राज्य स्तर पर स्वतंत्र हैं और उन्हें केंद्रीय चुनाव आयोग से किसी तरह की इजाजत लेने की आवश्यकता नहीं है.

बीजेपी ने घोषणा-पत्र में किया था वादा

बीजेपी ने अपने चुनाव घोषणा-पत्र में भी साझा मतदाता सूची का वादा किया था. पिछली और मौजूदा सरकार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार अपने ड्रीम प्रोजेक्ट ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की बात कह चुके हैं. बैठक के दौरान ये सहमति बनी कि कैबिनेट सचिव राज्य सरकारों से बातचीत कर 15 सितंबर तक इस मामले में अपनी रिपोर्ट देंगे.