शिवम मिश्रा, रायपुर। राजधानी रायपुर के AIIMS में साक्षी दुबे ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी. खुदकुशी को डेढ़ महीने बीत गए हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई होती नहीं दिख रही है. साक्षी के दोषी बेखौफ होकर घूम रहे हैं. जांच से न प्रबंधन को और न ही इस सुसाइड केस में शामिल अपराधियों को आंच आ रही है. इस पूरे मामले में सर्व समाज समिति के सदस्यों ने PMO से शिकायत की थी, जिसके बाद इस केस में न्याय की उम्मीद जगी है. PMO ने इस पूरे केस के लिए जांच अधिकारी नियुक्त किया है.

साक्षी दुबे सुसाइड केस को बीते डेढ़ महीने

दरअसल, 2 जुलाई 2021 को एम्स रायपुर के हॉस्टल में साक्षी दुबे ने संदिग्ध हालत में आत्महत्या कर ली थी. इसके बाद एम्स के परिवार वालों ने रेडियोलॉजी के एचओडी डॉ नरेन्द्र कुमार वोधे पर प्रताड़ना का आरोप लगाया था. शिकायत पर पुलिस ने पूछताछ के लिए डॉक्टर को थाना तलब किया था. इधर साक्षी को न्याय दिलाने के लिए सर्व समाज समिति के कार्यकर्ताओं ने एम्स डायरेक्टर डॉ. नितिन एम नागरकर और डिप्टी डायरेक्टर अंशुमन गुप्ता के कार्यालय का घेराव कर आरोपित HOD के खिलाफ विभागीय जांच की मांग किए थे.

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सर्व समाज समिति के सदस्यों ने PMO से शिकायत की थी, जिसके बादछात्रा साक्षी दुबे के आत्महत्या मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय ने संज्ञान लिया है. शिकायत के बाद PMO ने छत्तीसगढ़ मुख्य सचिव अमिताभ जैन को पत्र भेजा है. साथ ही PMO ने एम्स से मामले में जवाब मांगा है. साथ ही तफ्तीश के लिए KM अग्रवाल को जांच अधिकारी बनाया है.

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AIIMS डायरेक्टर कार्यालय के बाहर धरने पर बैठने के बाद डायरेक्टर नागरकर ने जांच समिति बैठने और आरोपित डॉक्टर को पद से हटाने की बात कार्यकर्ताओं से कही थी, लेकिन बाद में एम्स द्वारा मामले दो रफादफा करा दिया गया. इधर पुलिस ने भी सबूत ना मिलने का हवाला देते हुए जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया. आत्महत्या के बाद जिस तरह से एम्स प्रबंधन का रुख सामने आया है. उससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

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मामले में आमानाका थाना प्रभारी भरत बरेठ ने बताया कि एम्स छात्रा साक्षी दुबे के मामले में जांच जारी है. साक्षी के 1 माह का कॉल सीडीआर भी निकाला गया था, जिसमें उसकी बहन से ही ज्यादातर बात सामने आई है. पुलिस अब दिसंबर के समय से उसकी कॉल डिटेल निकालने की तैयारी में है. साथ ही एम्स प्रबंधन की जो कमेटी गठित हुई थी, उसमें भी हमने जांच रिपोर्ट मांगी है. सभी तथ्य सामने आने के बाद अंतिम कार्रवाई की जा सकती है.

बहरहाल, कानून जांच से किसी को आंच नहीं आ रही है. प्रबंधन मामले को रफदफा करने में लगा है. साक्षी दुबे सुसाइड केस को डेढ़ महीने बीत गए हैं, लेकिन कार्रवाई कुछ खास नहीं हुई. ऐसे में पीड़ित परिवार में निराशा है. PMO कार्यालय से इंसाफ की उम्मीद जगी है, लेकिन ये आने वाला समय बताएगा कि आरोपी कटघरे में होंगे या फिर यूं ही आजाद रहेंगे.

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