रणधीर परमार, छतरपुर। मध्य प्रदेश के छतरपुर पुलिस पर गंभीर आरोप लगा है। जमीन के सीमांकन के विवाद में पुलिस ने दलित परिवार के साथ मारपीट की। विरोध करने पर उन्हें थाने में बंद कर दिया। पुलिस स्टेशन में पीड़ितों के रोते बिलखते वीडियो सामने आया है। वहीं इस पूरे मामले में पुलिस ने कहा कि शासकीय कार्य में बाधा डालने की वजह से कार्रवाई की गई है।
मामवा ओरछा रोड थाना क्षेत्र का है। जानकारी के मुताबिक, पीड़ितों की जमीन का सीमांकन किया जा रहा था। आपत्ति के बाद भी जबरन कब्जा दिलाया जा रहा था। जब पीड़ितों ने इसका विरोध किया तो पुलिस ने उनके साथ मारपीट की। इसका विरोध करने पर उन्हें थाने में बंद कर दिया। जहां पुलिस स्टेशन पर पीड़ित रोते बिलखते नजर आए। पीड़ितों ने पुलिस पर तानाशाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि आपत्ति के बाद भी जबरन कब्जा दिलाया जा रहा है।
वहीं इस पूरे मामले में सीएसपी अमन मिश्रा ने कहा कि शासकीय कार्य में बाधा डालने पर कार्रवाई की गई है। उन्होंने बताया कि कल शाम को राजस्व दल सीमांकन करने पहुंचा था। जहां एक पक्ष शासकीय कार्य में बाधा डाल रहा था। महिलाए रोड पर लेट गई और खुद की जान को खतरे में डाल दिया था। इसे देखते हुए उन्हें पुलिस थाने लाया गया और प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की जा रही है।
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CSP अमन ने बताया कि यह विवाद रामलाल अहिरवार ने दीपेंद्र चौरसिया को जमीन बेची थी। इसमें उसके पुत्र तुलसी और बबलू की भी सहमति थी। इसके बाद तीन चार बार राजस्व दल सीमांकन करने पहुंचा था, लेकिन उन्हें काम पूरा करने नहीं दिया जा रहा था। इसलिए राजस्व दल की सहायता में लगते हुए सीमांकन का कार्य पूरा किया गया है। फिलहाल आगे की कार्रवाई जारी है। वहीं पीड़ितों को थाने में बंदकर पिटाई करने के आरोप पर कहा कि किसी से मारपीट नहीं की गई है। न ही उन्हें थाने में बंद किया गया है। उनकी जान बचाने के लिए थाने लाया गया था।
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