पुष्पेंद्र सिंह, दंतेवाड़ा। सुकमा के ताड़मेटला में हुई मुठभेड़ को मूलवासी बचाओ मंच के पदाधिकारियों ने कहा कि यह मुठभेड़ फर्जी है. ग्रामीणों को मार दिया और उनको इनामी बता दिया. मारे गए परिजन पर फोर्स का दबाव था, उनके सामने ही दोनों का अंतिम संस्कार कर दिया गया. आदिवासी परंपरा के अनुसार दोनों ग्रमाीणों का अंतिम संस्कार तक फोर्स ने नहीं होने दिया.

दंतेवाड़ा के पुराने सर्किट हाउस में पत्रकारों से बात करने के दौरन मूलवासी बचाओ मंच के महासचिव बादल कुमार बनर्जी ने पुलिस प्रशासन को सवालों में खड़ा किया है. आरोप बड़े ही गंभीर है. उन्होंने साफ कहा है कि वे परिजन से मिलने जा रहे थे. उनके साथ अधिवक्ता बेला भाटिया और मूलवासी बचाओ मंच के सदस्य भी थे. चिंतलनार में उनको रोक दिया गया. परिजन से मिलने जाने ही नहीं दिया गया. आखिरकार थाना के सामने ही बैठना पड़ा. इसके बाद भी फोर्स ने नहीं जाने दिया, आखिरकार बेरंग लौटना पड़ा.

इधर अधिवक्ता बेला भाटिया ने तो साफ कहा कि पुलिस प्रशासन साफ सुथरा है तो जाने क्यों नहीं दे रहा है. वरिष्ठ अधिकारियों को भी फोन लगया लेकिन उनसे भी को मुफीद जबाब नहीं मिला. थाना के सामने चिल्लाती रही. थाना पुलिस भी बाहर नहीं निकली. थाना पुलिस तो 24 घंटे के लिए नागरिक सुरक्षा के लिए है. सुरक्षा का हवाला देकर सुरक्षा का ही दमन किया जा रहा है. तमाम कोशिशों के बाद भी उन्हें कथित मृतक माओवादियों के यहां नहीं जाने दिया गया.

मृतकों के पास थे पैसे और मोबाइल भी गायब

पुलिस पर बड़े गंभीर आरोप लगाए गए है. मूलवासी बचाओ मंच के पदाधिाकारी और अधिवक्ता बेला भटिया ने कहा ये मारे गए दोनों ग्रामीण हैं. माओवादी नहीं थे. एक व्यक्ति मो मछली का बीज खरीदने गया था. वहीं दूसरा किराना दुकान के लिए सामाग्री खरीदने गया था. मृतकों के पास पैसे थे और मोबाइल भी गायब है. इतना ही नहीं दोनों की बाइक भी नहीं मिल रही है. बताया तो ये जा रहा है बाइक वे अपने सगा-सबंधी से मांगकर ले गए थे. उनकी बाइक और मोबाइल पुलिस के पास ही है. ये दानों तिम्मपुरम सगा घर वापस आ रहे थे. उसी दौरान पुलिस मुठभेड़ का हवाला देकर मारे गए है. बता दें इस पूरे मामले पर आदिवासी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुंजाम ने भी सावाल खड़े किए है. वे भी इस मुठभेड़ को फर्जी बता रहे हैं.

ये है पुलिस का दावा

पुलिस का दावा है कि सुकमा जिले के चिंतागुफा थाना अंर्तगत ताडमेटला और दुलेड़ के जंगलों में जगरगुंडा एरिया कमेटी के नक्सलियों की मौजूदगी खबर थी. इस सूचना के अधार पर डीआरजी और सीआरपीएफ 223 बटालियन की संयुक्त फोर्स रवाना की गई थी. 5 सितंबर को ऑपरेशन के दौरान ताड़मेटला और दुलेड के जंगलों के बीच नक्सलियों ने फोर्स पर हमला किया. एसपी ने कहा कि पुलिस ने आत्मरक्षा के लिए गोलीबारी की. इस गोलीबारी के बाद तलाशी के दौरान दो माओवादियों के शव मिले. मिलीशिया कैडर सोढ़ी देवा और रावा देवा जगरगंडा रिया केमटी में सक्रिय थे. उन पर शासन की ओर से एक लाख रुपए का इनाम घोषित था. शवों की पहचान की गई. दोनों व्यक्तियों पर शिक्षक कवासी सुक्का और ताडमेटला पंचायत के उप सरपंच मदावी गंगा की हत्या से सबंधिति आरोप थे. पुलिस मुखबिरी के शक में मिनपा के पास कोरसा कोसा की भी हत्या का भी आरोप है.

Threads App पर lalluram.com को फॉलो करने के लिए https://www.threads.net/@lalluramnews इस लिंक पर क्लिक करें, ताकि आपको देश दुनिया की पल-पल की खबरें मिलती रहेंगी.

छतीसगढ़ की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक 
English में खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें