हेमंत शर्मा, इंदौर। बाणगंगा पुलिस ने एसआई से मारपीट करने वाले जेल प्रहरी विकास डाबी और उसके साथी का हाथ-पैर में पट्टा बांधकर जुलूस निकालना अब सवालों के घेरे में आ गया है। पुलिस ने दावा किया था कि, आरोपियों को चोटें आई थीं, लेकिन जेल में हुए परीक्षण में किसी भी प्रकार की चोट के निशान नहीं मिले। ऐसे में अब पुलिस पर ही कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

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लल्लूराम डॉट कॉम जांच की में खुले राज

सूत्रों के अनुसार, जब आरोपियों का अरविंद अस्पताल में मेडिकल परीक्षण कराया गया, तो पुलिस ने चोट के निशान होने की बात कही थी। लेकिन जब लल्लूराम डॉट कॉम ने इस पूरे मामले की जांच की, तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। जेल में जब दोनों आरोपियों का परीक्षण हुआ, तो उनकी रिपोर्ट पूरी तरह सामान्य निकली। MLC में भी किसी चोट की पुष्टि नहीं है।

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फिर आरोपियों पर क्यों चढ़ाया गया पट्टा?

अब बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर पुलिस के दावे के मुताबिक आरोपियों को चोट आई थी, तो वे अचानक जेल पहुंचते ही ठीक कैसे हो गए? या फिर यह सिर्फ दिखावा था? इस मामले में जब बाणगंगा थाना प्रभारी सियाराम गुर्जर से फोन पर बात की गई, तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि “चार-पांच दिन में चोटें ठीक हो सकती हैं, और एक्स-रे के बाद ही असली स्थिति का पता चलेगा।”

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पुलिस की इस कार्रवाई के बाद अब पूरी कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में आ गई है। क्या यह सिर्फ एक ड्रामा था, ताकि जनता को दिखाया जा सके कि आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो रही है? क्या पुलिस ने जानबूझकर आरोपियों को पट्टा बांधकर घुमाया, ताकि उनके खिलाफ माहौल बनाया जा सके?

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