शुभम नांदेकर, पांढुर्णा। एक ओर मध्य प्रदेश में अपराध और आपराधिक घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, तो दूसरी ओर आपातकालीन सेवाओं का बुनियादी ढांचा खुद ही कराह रहा है। प्रदेश की डायल 100 सेवा जो एक कॉल पर सहायता पहुंचाने का दावा करती है, पांढुर्णा जिले में अपने खराब दौर से गुजर रही है।

सौंसर थाना क्षेत्र की डायल 100 सेवा तो अब सोशल मीडिया पर ‘धक्का 100’ के नाम से बदनाम हो चुकी है। हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें पुलिसकर्मी वाहन को स्टार्ट करने के लिए धक्का मारते नजर आ रहे हैं। इसके बाद भी वाहन स्टार्ट नहीं हुआ, जिससे लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आपातकाल में वे किस पर भरोसा करें?

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आपातकालीन सेवा खुद संकट में

डायल 100 जिसे मध्य प्रदेश पुलिस की “फर्स्ट रिस्पॉन्स यूनिट” कहा जाता है। इसका उद्देश्य घटनास्थल पर त्वरित प्रतिक्रिया देना है। यह सेवा भोपाल कॉल सेंटर से संचालित होती है, जहां से कॉल रिसीव कर तत्काल नजदीकी वाहन को भेजा जाता है परंतु पांढुर्णा जिले की जमीनी हकीकत इससे उलट है। सौंसर क्षेत्र की डायल 100 गाड़ी कंडम हो चुकी है। वाहन चालक सतेंद्र साहू ने बताया कि वाहन हाल ही में जबलपुर से सर्विसिंग होकर आया है, लेकिन फिर से इसमें तकनीकी खराबी आ गई है।

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अधिकतर गाड़ियां कंडम और खराब

पांढुर्णा जिले के अन्य थानों की स्थिति भी कुछ अलग नहीं है। कई थानों की डायल 100 गाड़ियां पुरानी हो चुकी हैं और समय पर मेंटेनेंस नहीं होने के कारण कंडम हो गई है। ऐसे में घटनास्थल पर समय पर पहुंचना तो दूर, वाहन स्टार्ट कर पाना ही बड़ी चुनौती है। पुलिस ने आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली को आधुनिक बनाने और जनता को समय पर सहायता पहुंचाने के लिए डायल 100 जैसे प्रयास किए थे। अपराध या दुर्घटना की स्थिति में जब हर पल कीमती होता है, तब ऐसी लचर सेवाएं लोगों की जान पर भारी पड़ सकती हैं।

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