बीजापुर- भेज्जी और बुर्कापाल की तरह सुरक्षा बलों के जवानों पर हमले की रणनीति बना रहे माओवादियों को पुलिस ने करारा जवाब दिया है। बीजापुर जिले के भैरमगढ़ के करीब केशकुतुल के पास हुए मुठभेड़ में नक्सली रतन हेमला को पुलिस ने मार गिराया। खबर है कि रतन हेमला कई बड़े नक्सल वारदातों में शामिल रहा है। बताया जा रहा है कि पुलिस को सूचना मिली थी कि भैरमगढ़ इलाके में सक्रिय नक्सली सड़क निर्माण कार्य में लगी पुलिस पार्टी को निशाना बनाने की रणनीति बना रहे हैं। करीब दर्जन भर नक्सली फोर्स के मूवमेंट को लेकर रेकी कर रहे हैं।
इस इनपुट के बाद बस्तर आईजी विवेकानंद सिन्हा, डीआईजी सुंदरराज पी, बीजापुर एसपी के एल ध्रुव और एएसपी मोहित गर्ग ने नक्सलियों की योजना को ध्वस्त कर जवाब देने की रणनीति तैयार की। अलसुबह चार बजे पुलिस के जवान केशकुतुल की ओर सर्चिंग पर रवाना हुए। पुलिस पार्टी जैसे ही सुराखडा पहुंची नक्सलियों को इसकी भनक लग गई। नक्सलियों ने जवानों पर हमला बोल दिया। नक्सलियों की ओऱ से जवानों पर अंधाधुंध फायरिंग की गई। जवाब में पुलिस पार्टी ने पहले नक्सलियों को आत्मसमर्पण के लिए कहा गया। नक्सलियों की ओर से फायरिंग नहीं रोके जाने पर पुलिस ने जवाबी कार्यवाही की। इस कार्यवाही में रतन हेमला उर्फ आय़तु उज्जी मारा गया। पुलिस ने बताया कि मौके पर एक नग भरमार बंदूक, एक नग 303 बोर देशी कट्टा, डेटोनेटर और दैनिक उपयोग की सामग्री बरामद हुई है।
मारा गया नक्सली रतन हेमला भैरमगढ़ इलाके में सक्रिय था। वह नक्सलियों की स्माल एक्शन टीम का सदस्य था। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक रतन हेमला 2005 में सलवा जुडूम के वक्त नक्सल संगठन का हिस्सा बना था। 2006-2008 तक मिरतुर एलओएस का सदस्य रहा। 2009 में कंपनी नंबर टू में रहा। 2010 में डिवीजन सप्लाई टीम का सदस्य रहा। 2011 में मिरतुर एओएस डिप्टी कमांडर बनाया गया। 2012 में माटवाड़ा जनमिलिशिया कमांडर रहा। 2014 से अब तक भैरमगढ़ एरिया में स्माल एक्शल टीम में सक्रिय रहा है।
बड़ी वारदातों में रहा शामिल
पुलिस के मुताबिक रतन हेमला 2006 में रानीबोदली कैंप अटैक में शामिल था, जिसमें 56 जवानों की हत्या की गई थी। 2007 में थाना मिरतुर के तड़केल में सीआऱपीएफ के छह जवानों की हत्या, 2010 में सलवा जुडूम कार्यकर्ता चंद्रु की मिरतुर बाजार में हत्या, 2011 में थाना मिरतुर के सहायक आऱक्षक कुम्मा की हत्या, 2012 में थाना मिरतुत के सहायक आरक्षक लच्छू की हत्या के मामले में भी रतन हेमला का हाथ रहा रहा है।