पंकज सिंह भदौरिया,दंतेवाड़ा। जिले में पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे लोन वर्राटू (घर वापसी) अभियान के तहत बड़ी सफलता मिल रही है. गुरुवार को कुआकोंडा थाने में इसी अभियान के 3 इनामी समेत 25 नक्सली समर्थकों ने एक साथ दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव और कलेक्टर दीपक सोनी के सामने सरेंडर किया है. साथ ही सरकार की मुख्यधारा में जुड़कर विकास का साथ देने की शपथ भी ली. पखवाड़े भर के अंदर ही 56 नक्सलियों ने सरेंडर किया है.

नक्सली समर्थकों में डीकेएमएस अध्यक्ष, जनमिलिशिया अध्यक्ष पर एक-एक लाख रुपए का इनाम घोषित था. जिनकी संख्या कुल 3 थी. बाकी जनमिलिशिया सदस्य, ग्राम कमेटी, डीकेएमएस सदस्य, स्तर के नक्सली समर्थक थे. उदेला, माहराकरका, किडरीरास, मोलसनार गांव में सभी समर्थक नक्सलियों के लिये सक्रियता से काम कर रहे थे. जिनके ऊपर हत्या, लूट, सड़क खुदाई और विकास कार्यो में अवरोध जैसे मामलों में संलिप्तता बताई गई है. जिन्हें 2-2 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी गई.

दंतेवाड़ा कलेक्टर दीपक सोनी ने कहा लोन वर्राटू अभियान को जिले भर व्यापक समर्थन मिल रहा है. भांसी में समर्थन के वक्त समर्थित नक्सलियों ने खुद के 2015 में तोड़े स्कूल भवन की मांग की, जिस पर स्वीकृति दे दी गई. इनमें से भी जो लोग समर्थन कर मुख्यधारा में जुड़े हैं, उन्हें सरकार की सभी योजनाओं का लाभ देकर स्वालंबी बनाया जाएगा. ताकि क्षेत्र का विकास हो. पशुपालन, दुकान, पूना माड़ाकाल योजना, मनरेगा के तहत सभी को काम दिया जाएगा. लोग स्वस्फूर्त नक्सल धारा से मुंह मोड़कर विकास की मुख्यधारा में जुड़ रहे हैं. यही हाथ कल तक बम गोली बारूद बरसाते थे, पर अब खेतों में धान बरसाएंगे.

दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव ने कहा कि अभी शुरुवात है. आने वाले समय में विकास-विश्वास और जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर लोन वर्राटू अभियान को और सफलताएं मिलेंगी. नक्सली जिले भर में हमारे द्वारा चलाये जा रहे अभियान से भयभीत और डरे हुए है.

बता दें कि नक्सलियों के खिलाफ एग्रेसिव और फ्रंट फुट में आकर दंतेवाड़ा पुलिस सरेंडर और जंगलों में सर्च ऑपरेशन चला रही है. जिसका व्यापक असर नक्सलियों की बौखलाहट के रूप में भी दिख रहा है. हाल में ही एक जवान में रिश्तेदार की हत्या किरन्दुल इलाके के गुनियापाल में नक्सलियों ने की थी. साथ ही एक जवान के माता-पिता को भी अगवा कर लिया था, मगर बाद में ग्रामीणों के दबाव के चलते रिहा कर दिया. इन सबके बावजूद भी ग्रामीण खुलकर प्रशासन और फोर्स के साथ खड़े हैं.