बिलासपुर. मारपीट के 10 माह पुराने केस में युवक के खिलाफ हत्या के प्रयास का केस बना दिया, और उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. युवक की मां ने जब डॉक्टरों से पतासाजी की तो पता चला कि, उन्होंने थाने में कोई क्वेरी रिपोर्ट ही नहीं दी है. इस फर्जीवाड़े की शिकायत दो डॉक्टरों ने पुलिस से की है. इधर युवक की मां ने इस पूरे केस की जांच कर दोषी पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है.

बता दें कि, जबड़ापारा निवासी आशा सिंह ने आरोप लगाया है कि 10 महीने पुराने मामले को लेकर उनके बेटे शक्ति सिंह को उत्कर्ष दुबे, अंकित दुबे, ऋषभ शर्मा और अमन गुप्ता ग्रुप के साथ सिविल लाइन पुलिस ने प्लानिंग कर जेल भेज दिया था. पीड़ित की मां का आरोप है कि सरकंडा स्थित स्काई हॉस्पिटल के डॉक्टरों के बिना जानकारी के पहले फर्जी क्वेरी रिपोर्ट बनाई गई, फिर गैर जमानती धाराओं की पूरी स्क्रिप्ट तैयार कर शक्ती सिंह के मोबाइल नंबर को ट्रेस कर उसे किसी कुख्यात अपराधी की तरह गिरफ्तार किया.

पीड़ित युवक की मां आशा सिंह ने बताया कि, उन्होंने जब पुलिस से मारपीट के पुराने केस में धारा 307 जोड़ने की जानकारी ली, तब पता चला कि डॉक्टरों की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने कार्रवाई की है. क्वेरी रिपोर्ट में डॉक्टरों ने घायल उत्कर्ष दुबे को गंभीर चोट आने का जिक्र किया है. तब उन्होंने क्वेरी रिपोर्ट भेजने वाले स्काई अस्पताल के डॉक्टर नरेश कृष्णनानी और डॉक्टर राजीव सखूजा से जानकारी ली. इस दौरान डॉक्टरों ने इस तरह की कोई क्वेरी रिपोर्ट बनाने और पुलिस को देने से इंकार किया, तब इस फर्जीवाड़ा का राज खुला.

वहीं डॉक्टरों को जब इस फर्जी क्वेरी रिपोर्ट की जानकारी मिली, तो डॉक्टर्स सरकंडा थाना फिर सिविल लाइन थाने मे लिखित आवेदन देकर अपना पक्ष रखा. स्काई अस्पताल के डॉक्टर राजीव सखूजा ने कहा, कि उत्कर्ष दुबे नाम का कोई भी उनके अस्पताल में भर्ती ही नहीं था. किसी ने मेरे अस्पताल का सील साइन फर्जी तरीके से उपयोग किया है. इसकी शिकायत मैंने खुद पुलिस में की है.

जानकारी के अनुसार, पुरानी रंजिश पर उत्कर्ष दुबे और शक्ति सिंह के बीच हुए मारपीट के मामले में सिविल लाइन पुलिस जांच कर रही थी. यह मारपीट बीते 12 जनवरी को हुई थी. पुलिस पर आरोप है कि दूसरे पक्ष से मिली भगत कर शक्ति सिंह पर अचानक गंभीर धाराओं के तहत 4 अक्टूबर को यानी 10 महीने के बाद सिविल लाइन पुलिस ने कार्रवाई कर जेल भेज दिया गया.

वहीं एसएसपी पारुल माथुर जांच में दोषी पाए जाने पर पुलिस कर्मियों और हॉस्पिटल प्रबन्धन के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है. इधर मामले में सिविल लाइन पुलिस मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की बात कर रही है.

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