लखनऊ. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने प्रदेश के सभी जिलों के सरकारी अस्पतालों में बच्चों को पोलियो की दवा पिलाने पर रोक लगा दी है. पिछले महीने बायोमेड कंपनी की दवा में पी-2 वायरस पाए जाने के बाद यह कार्रवाई की गई है. अन्य कंपनियों की वैक्सीन नहीं होने से नवजात बच्चों को पोलियो की खुराक नहीं पिलाई जा रही है. इससे पोलियो उन्मूलन अभियान को झटका लगा है.
सरकारी अस्पतालों में नवजात बच्चों को पोलियो की खुराक दी जाती है. बच्चे के जन्म से आधे घंटे से लेकर 15 दिन के बीच पहली खुराक दी जाती है. इससे बच्चे के शरीर में पोलियो वायरस से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. इसके बाद डेढ़ माह, ढाई माह, साढ़े तीन साल तक दवा पिलाई जाती है. पांच साल की उम्र तक बूस्टर लगाया जाता है. अधिकारियों के मुताबिक बायोमेड कंपनी की वैक्सीन बंद होने से पोलियो की दवा नहीं दी जा रही है
वैक्सीन में ही पोलियो का वायरस
बायोमेड कंपनी की ओरल पोलियो वैक्सीन में टाइप-टू वायरस मिला था. इसके बाद पूरे प्रदेश में अलर्ट जारी कर बच्चों को यह वैक्सीन पिलाने पर रोक लगा दी गई. हालांकि परिवार कल्याण महानिदेशक की ओर से जारी इस आदेश में वैक्सीन पिलाने पर रोक लगाने की वजह नहीं बताई गई है, मगर आदेश आने के बाद वैक्सीन वापस मंगा ली गई है.
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक यह वैक्सीन यूपी के तमाम जिलों में सप्लाई की गई थी. हाल ही में इस पोलियो वैक्सीन में टाइप टू वायरस मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग में ऊपर से नीचे तक खलबली मची हुई है. बताया जा रहा है कि प्रदेश में कुछ बच्चों के मल में वायरस के लक्षण मिलने के बाद जांच की गई तो साफ हुआ कि पोलियो वैक्सीन के जरिए यह वायरस उनमें पहुंचे हैं.
इसके बाद परिवार कल्याण महानिदेशक की ओर से पूरे प्रदेश में अलर्ट जारी कर इस वैक्सीन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है.
कंपनी के खिलाफ हो चुकी है एफआईआर
पोलियो वैक्सीनेशन प्रोग्राम के लिए बायोमेड समेत पांच कंपनियां दवा सप्लाई करती है. बायोमेड की बनाई ओरल वैक्सीन में टाइप टू पोलियो वायरस पाया गया है. यूपी में कुछ बच्चों के मल में टाइप टू बैक्टीरिया के लक्षण पाए गए. जांच में स्पष्ट हो गया कि वैक्सीन से ही इन बच्चों में यह वायरस पहुंचा है. उसके बाद बायोमेड के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराकर कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर को गिरफ्तार किया गया.