हिमाचल प्रदेश में सियासी पारा बढ़ा हुआ है, क्योंकि राज्य के नए मुख्यमंत्री को लेकर फैसला होना बाकी है. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 40 सीटें जीतकर यहां सरकार जरूर बना ली है, लेकिन अब तक यह तस्वीर साफ नहीं कर सकी है कि यहां का मुख्यमंत्री कौन होगा. इसी को लेकर 9 दिसंबर को दिनभर चली खींचतान के बाद देर रात विधायक दल की बैठक हुई. हालांकि इस बैठक में भी किसी एक नाम पर मुहर नहीं लग सकी.
अब इसे लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को प्रस्ताव भेजा गया है. अब खरगे ही फैसला करेंगे कि आखिर कौन होगा हिमाचल प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री. सीएम पद के लिए तमाम नेता दावेदारी कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया है कि मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर सभी विधायकों से पहले राय शुमारी की जाएगी. इसके बाद आलाकमान अंतिम फैसला लेगा. फिलहाल सीएम फेस की रेस में पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की पत्नी और प्रेदश कांग्रेस चीफ प्रतिभा सिंह सबसे आगे चल रही हैं.
विधायक दल की बैठक में कांग्रेस के पर्यवेक्षक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और हिमाचल प्रदेश के एआईसीसी प्रभारी राजीव शुक्ला शामिल हुए. वहीं सीएम पद के दावेदारों में शामिल राज्य कांग्रेस प्रमुख प्रतिभा सिंह, पार्टी के पूर्व प्रमुख सुखविंदर सिंह सुक्खू और निवर्तमान विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री भी बैठक में शामिल हुए. बैठक में कांग्रेस के 39 विधायक उपस्थित थे. एक विधायक रास्ते में होने के कारण नहीं पहुंच पाया. विधायक दल की बैठक में एक लाइन का प्रस्ताव पारित किया गया कि अगला मुख्यमंत्री अब पार्टी आलाकमान ही तय करेगा.
हिमचाल में कांग्रेस नेताओं के समर्थक सड़क पर कलह कर रहे हैं. हालांकि इन सबके बीच पार्टी का कहना है कि सब ठीक चल रहा है. जल्द ही मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा कर दी जाएगी. कांग्रेस आलाकमान 11 या 12 दिसंबर को सीएम के नाम का ऐलान कर देगा.
प्रतिभा सिंह का नाम सबसे आगे
अब तक इस रेस में तीन नाम आगे चल रहे हैं. इनमें प्रतिभा सिंह, सुखविंदर सिंह, मुकेश अग्निहोत्री का नाम शामिल है. इनमें से भी कांग्रेस चीफ प्रतिभा सिंह का नाम सबसे आगे है. उनकी दावेदारी मजबूत होने के दो कारण है. पहला वह पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की पत्नी हैं. दूसरा वह पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष हैं. 9 दिसंबर को रात करीब दस बजे राज्य में विधायक दल की बैठक हुई. हालांकि इसमें कोई फैसला नहीं निकल सका. इससे यह तो साफ हो गया है कि मुख्यमंत्री बनने को लेकर हिमाचल में फैसला होना मुश्किल है. इसलिए अब इसका फैसला दिल्ली से होकर हिमाचल पहुंचेगा.
पार्टी को सता रहा हॉर्स ट्रेडिंग का डर
कांग्रेस के आगे एक नहीं बल्कि दो मुसीबते हैं. सीएम को चुनने के अलावा हॉर्स ट्रेडिंग का डर भी पार्टी को सता रहा है. इसलिए पार्टी चाहती है कि जल्द से जल्द मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगे. सबसे बड़ी बात है कांग्रेस को बिना किसी तकरार के यह फैसला करना होगा क्योंकि पार्टी को विधायकों के टूटने का जोखिम भी उठाना पड़ सकता है. मुख्यमंत्री पद के लिए सुखविंदर सिंह सुक्खू की दावेदारी को भी मजबूत माना जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक हिमाचल के तीन निर्दलीय विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू के समर्थन में आ गए हैं.
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