रायपुर। प्रदेश में पेसा कानून लागू होने के साथ ही इस पर राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है. भाजपा के वरिष्ठ नेता अजय चंद्राकर ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चैलेंज करते हुए पेसा कानून पर सीधे बहस का चैलेंज करते हुए दिन और समय तय करने की बात कही है.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर प्रदेश में पेसा कानून लागू होने की बात कही थी. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि आजादी की लड़ाई में आदिवसियों की अहम भूमिका रही है. आदिवासियों की भाषा-संस्कृति को संरक्षित कर रहे हैं. आदिवासी समाज के लिए कोई कमी नहीं करेंगे, जो भी जरूरत होगी सब पूरा करेंगे. पेसा कानून का राजपत्र में प्रकाशन हो चुका है. अब राज्य इसका में क्रियान्वयन में होगा. ग्राम सभा में 50 प्रतिशत आदिवासी होंगे. महिलाओं को भी आधी जिम्मेदारी मिलेगी.

मुख्यमंत्री की घोषणा के साथ ही प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता पूर्व मंत्री व विधायक अजय चंद्राकर ने पेसा कानून के नाम पर आदिवासियों से छल का आरोप लगाते हुए कहा था कि इस कानून के तहत ग्राम सभा को केवल अराष्ट्रीयकृत वनोपज पर ही निर्णय लेने का अधिकार होगा. वहीं प्रदेश में एकमात्र राष्ट्रीयकृत वन उपज तेंदूपत्ता संग्रहण छत्तीसगढ़ सरकार के नियंत्रण में ही रहेगा. इस तरह से पेसा कानून का मसौदा बदलने को एक बड़ा षड्यंत्र करार दिया है.

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