रायपुर। छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर दो कैथोलिक ननों की गिरफ्तारी ने देशभर में राजनीतिक हलचल मचा दी है। धर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोपों में की गई इस कार्रवाई को लेकर अब केंद्र और राज्य की राजनीति आमने-सामने आ गई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखा है और इस पूरी घटना की कड़ी निंदा करते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। वेणुगोपाल ने इसे अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों पर हमला करार देते हुए राज्य सरकार पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। इस घटना की गूंज संसद तक भी पहुंच चुकी है। आज UDF के सांसदों ने संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। तो वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तीखा हमला बोलते हुए इस कार्रवाई को भाजपा-आरएसएस का गुंडा राज बताया है। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला और कैसे यह एक राज्य से निकलकर यह एक राष्ट्रीय मुद्दा बन गया।

GRP ने दो ननों को किया गिरफ्तार

घटना 25 जुलाई की है जब दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने मानव तस्करी और धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए दो ननों और एक युवक को रोका। आरोप था कि तीनों, नारायणपुर जिले की तीन लड़कियों को बहला-फुसलाकर आगरा ले जा रहे थे। बजरंग दल की जिला संयोजिका ज्योति शर्मा के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने रेलवे स्टेशन पर नारेबाजी करते हुए GRP के हवाले कर दिया। GRP थाना भिलाई-3 के अंतर्गत दुर्ग जीआरपी चौकी में मामले की जांच शुरू हुई और धर्मांतरण की धारा 4 के तहत मामला दर्ज कर तीनों को न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया।

केसी वेणुगोपाल ने सीएम को लिखा पत्र

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखते हुए घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि “मैं 25 जुलाई, 2025 को छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर हुई उस चौंकाने वाली घटना पर अपनी गहरी चिंता और स्पष्ट निंदा व्यक्त करने के लिए यह पत्र लिख रहा हूं। इस घटना में बजरंग दल के सदस्यों ने दो कैथोलिक ननों और एक युवक को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिया और उन पर झूठे आरोप लगाए। ये नन तीन लड़कियों के साथ वैध रोज़गार के लिए जा रही थीं।

वेणुगोपाल ने बताया कि यह घटना शुक्रवार को हुई, जब चेरथला स्थित सिरो-मालाबार चर्च के अंतर्गत आने वाली असीसी सिस्टर्स ऑफ मैरी इमैक्युलेट (ASMI) की सदस्य सिस्टर वंदना और सिस्टर प्रीति को बिना किसी कानूनी आधार के निशाना बनाया गया। वे तीन युवतियों के साथ थीं, जो अपने माता-पिता की पूर्ण सहमति से इस मण्डली द्वारा संचालित एक अस्पताल में काम करने के लिए आई थीं।

उन्होंने कहा कि यह बेहद परेशान करने वाला है कि स्वयंभू निगरानीकर्ताओं का एक समूह इस तरह की अराजकता फैला सकता है, सांप्रदायिक तनाव भड़का सकता है और बिना किसी कानूनी आधार के धर्मांतरण और मानव तस्करी के अपुष्ट आरोप लगा सकता है। इससे भी ज़्यादा चिंताजनक बात यह है कि माता-पिता की स्पष्ट सहमति और दस्तावेज़ों के बावजूद, अधिकारियों ने कथित तौर पर राजनीतिक दबाव में ननों और युवक को हिरासत में रखना जारी रखा है। यह न्याय की घोर विफलता और अल्पसंख्यक समुदायों के नागरिकों के अधिकारों और सम्मान पर सीधा हमला है।

केसी वेणुगोपाल ने आगे लिखा, यह तथ्य कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों की मौजूदगी में भीड़ द्वारा इस कार्रवाई को होने दिया गया, अस्वीकार्य है। कानून का शासन बनाए रखने के बजाय दबाव में आकर पुलिस की भूमिका प्रशासनिक निष्पक्षता और राज्य में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करती है।यह कोई अकेली घटना नहीं है। हाल के वर्षों में छत्तीसगढ़ भर में ईसाई मिशनरियों, पादरियों और अल्पसंख्यक कार्यकर्ताओं पर इस तरह के सुनियोजित हमलों में चिंताजनक वृद्धि हुई है। धर्मांतरण के मनगढ़ंत आरोप भय फैलाने, नफ़रत भड़काने और अनुच्छेद 25 के तहत प्रदत्त संवैधानिक स्वतंत्रताओं को दबाने का एक हथियार बन गए हैं। उत्पीड़न के ऐसे तरीकों का तुरंत और गंभीरता से समाधान किया जाना चाहिए।

वेणुगोपाल ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि इस गैरकानूनी कृत्य में शामिल लोगों, जिनमें भीड़ हिंसा और सांप्रदायिक द्वेष भड़काने वाले लोग भी शामिल हैं, उनके विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी अनुरोध किया है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों को निष्पक्षता से कार्य करने और ऐसे सभी मामलों में संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने का निर्देश दिया जाए।

अंत में केसी वेणुगोपाल ने लिखा कि सरकार को यह स्पष्ट संदेश देने के लिए निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए कि एक लोकतांत्रिक समाज में धमकी, सांप्रदायिक निशाना और भीड़ द्वारा न्याय के ऐसे कृत्य बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। ऐसा न करने पर न केवल ऐसे तत्वों का हौसला बढ़ेगा, बल्कि छत्तीसगढ़ में कानून के शासन और संवैधानिक शासन में जनता का विश्वास भी कम होगा।

संसद तक पहुंचा मामला, UDF सांसदों ने किया प्रदर्शन

इस घटना की गूंज संसद में भी सुनाई दी। 28 जुलाई को संसद भवन के बाहर UDF के सांसदों ने इस कार्रवाई के खिलाफ जोरदार किया। AICC महासचिव वेणुगोपाल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि छत्तीसगढ़ के दुर्ग में कैथोलिक ननों की चौंकाने वाली गिरफ्तारी और उत्पीड़न के खिलाफ आज यूडीएफ सांसदों ने संसद के बाहर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। बिना किसी अपराध के हिंसक भीड़ ने उन्हें निशाना बनाया। भाजपा-आरएसएस तंत्र द्वारा, सभी अल्पसंख्यकों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जाता है और अपने धर्म का पालन करने वाले साथी नागरिकों को डराने-धमकाने के लिए गुंडे तत्वों को छोड़ दिया जाता है। छत्तीसगढ़ में बजरंग दल के गुंडों और पुलिस के बीच यह जुगलबंदी धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति भाजपा की असली मंशा को दर्शाती है। हम उनकी तत्काल रिहाई और निर्दोष ननों के लिए न्याय की मांग करते हैं।

राहुल गांधी का तीखा हमला

लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए इस कार्रवाई को ‘गुंडा राज’ करार दिया है। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा कि “छत्तीसगढ़ में दो कैथोलिक ननों को उनकी आस्था के कारण निशाना बनाकर जेल भेज दिया गया – यह न्याय नहीं, बल्कि भाजपा-आरएसएस का गुंडा राज है। यह एक खतरनाक पैटर्न को दर्शाता है: इस शासन में अल्पसंख्यकों का व्यवस्थित उत्पीड़न। यूडीएफ सांसदों ने आज संसद में विरोध प्रदर्शन किया। हम चुप नहीं बैठेंगे। धार्मिक स्वतंत्रता एक संवैधानिक अधिकार है। हम उनकी तत्काल रिहाई और इस अन्याय के लिए जवाबदेही की मांग करते हैं।”

केरल के सीएम ने पीएम मोदी को लिखा पत्र

गिरफ्तार दोनों नन केरल की रहने वाली हैं और ‘ग्रीन गार्डन्स’ धार्मिक समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। इनकी गिरफ्तारी को लेकर केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आपत्ति जताई है। उन्होंने पत्र में बताया कि दो सिस्टर को हाल ही में छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन से पुलिस ने हिरासत में लिया। यह कार्रवाई तब की गई जब वे अपने कॉन्वेंट में नौकरी के लिए आए लोगों को लेने पहुंची हुई थीं। साथ ही सीएम पिनाराई ने ननों से संपर्क न हो पाने के भी आरोप लगाए हैं।