रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने धान ख़रीदी के लिए बारदानों के नाम पर अब किसानों को एक और आर्थिक चोट पहुंचाने का आरोप लगाते हुए सरकार से सवाल किया कि किसानों के नाम पर सियासी लफ़्फ़ाजियाँ करने वाली प्रदेश सरकार आख़िर प्रदेश के किसानों को ख़ून के आँसू कब तक रुलाएगी? साय ने कहा कि गिरदावरी, बारदानों के नाम पर अपने तुग़लक़ी फ़रमानों से तो प्रदेश सरकार ने किसानों का पूरा धान ख़रीदने से बचने के लिए जितनी साजिशें बुनी हैं, उसकी तो शायद ही कोई और मिसाल देखने-सुनने को मिलेगी।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष साय ने कहा कि ताज़ा फ़रमान में प्रदेश सरकार ने धान ख़रीदी के लिए किसानों को अपना बारदाना ख़ुद लेकर आने की शर्त लगा दी है और कह दिया है कि किसानों को इन बारदानों के एवज़ में 15 रुपए प्रति नग की दर से भुगतान किया जाएगा। साय ने पूछा है कि सरकार बताए कि यह कौन-सा अर्थशास्त्रीय सिद्धांत है कि वह किसानों को उनके हक़ से वंचित करके और अपनी ज़िम्मेदारी से मुँह मोड़कर किसानों पर यह आर्थिक बोझ लादने की शर्मनाक तुग़लक़शाही चलाने पर आमादा है? उन्होंने कहा कि बाज़ार में व्यापारियों से किसान लगभग 30 रुपए प्रति नग की दर पर बारदाना ख़रीदकर धान बेचेगा और सरकार किसानों को उन बारदानों के एवज़ में 15 रुपए प्रति नग देगी। किसानों के प्रति कांग्रेस का यह रवैया निंदनीय है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि धान ख़रीदी के नाम पर प्रदेश सरकार शुरू से ही अपने दोहरे मापदंडों का परिचय देती आ रही है और बीते दो सालों में प्रदेशभर में धान ख़रीदी को लेकर सरकार-प्रशासन और किसानों में हर क़दम पर रार ठनती रही है। सरकार की सनकमिज़ाजी ने किसानों को बेहद हलाकान कर दिया है। अपने इस नए फ़रमान के ज़रिए प्रदेश सरकार किसानों का धान ख़रीदने से बचने की एक नई साजिश पर काम करती नज़र आ रही है, जबकि धान ख़रीदी के लिए बारदानों का बंदोबस्त करना प्रदेश सरकार की ज़िम्मेदारी है। बारदानों को लेकर प्रदेश सरकार के इस ताज़ा फ़रमान से किसानों में असंतोष बढ़ाकर एक नए विवाद को जन्म देने में लगी प्रदेश सरकार इस तरह टाइमपास करके किसानों का दान ख़रीदने से बचने की फ़िराक़ में है, लेकिन भाजपा किसानों के साथ प्रदेश सरकार को कोई भी अन्याय नहीं करने देगी, यह बात प्रदेश सरकार अच्छी तरह समझ ले।

साय ने कहा कि देशभर में कहीं भी बारदानों को लेकर किसी भी तरह के संकट की कोई जानकारी सामने नहीं आ रही है। बारदाने पर्याप्त मात्रा में तैयार किए गए हैं और पंजाब समेत कांग्रेस व उसके गठबंधन शासित राज्यों में भी बारदानों का ऐसा कोई संकट पैदा नहीं हुआ है तो फिर क्या कारण है कि छत्तीसगढ़ के किसानों को अब बारदानों की क़िल्लत के नाम पर प्रदेश सरकार हलाकान कर रही है? उन्होंने कहा कि यह प्रदेश सरकार किसानों के साथ केवल छलावा व धोखाधड़ी कर रही है ताकि किसी-न-किसी तरह धान ख़रीदने से बचने की उसकी साजिश पूरी हो सके। यह प्रदेश सरकार का नाकारापन है कि देश के बाकी राज्य जब किसानों के लिए व्यवस्थाएँ कर रहे थे, प्रदेश सरकार समय रहते बारदानों की फ़िक्र व व्यवस्था करने के बजाय सियासी नौटंकियों में मशगूल रहकर केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ विष-वमन करने में लगी रही। साय ने प्रदेश की किसान विरोधी कांग्रेस सरकार को केंद्र से राशि मिल जाने के बाद भी किसानों को भुगतान नहीं करने पर भी आड़े हाथों लिया और कहा कि केंद्रीय कृषि क़ानूनों का पालन नहीं करने को लेकर प्रदेश सरकार के क्रियाकलापों से केंद्र सरकार को अवगत कराया जा रहा है।