शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनावी बिसात बिछ चुकी है. एक ओर बैठकों के दौर जारी है, तो दूसरी ओर नेताओं के ताबड़तोड़ दौरे. लेकिन इन चुनाव में सोची समझी रणनीति के तहत ऐसे भी कुछ हो रहा है, जिन्हें देख आप भी हैरत में होंगे. तस्वीर ऐसी हैं जिन्हें शायद ही आपने मध्यप्रदेश में कभी देखा होगा. हम बात कर रहे हैं चुनावी माहौल और भगवा में घुलते हरे रंग की महक की.
आखों में गहरा सुरमा. आदाब से निकली अदब की जुबानी. सिर पर मुस्लिमीन टोपी. अनजानों से मिलते गले और हर शख्स से एक ही अपील. अपील आखिर क्या ? इससे पहले यह जान लीजिए कि यह तस्वीर भोपाल के पुराने शहर की है. यहां मुस्लिमों की आबादी सबसे ज्यादा है. इनसे अपील करते यह कोई और नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी हैं. जो संघ के अनुषांगिक संगठन राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के हैं. यहां मुस्लिमों से अपील इस बात की जा रही है, क्योंकि आरएसएस की विचारधारा को समझें. आरएसएस से जुड़ें और पुराने चश्में के नजरिये को बदले. ऐसे ही करीब बीते एक साल से पूरे प्रदेश में अभियान चलाया जा रहा है.
आरएसएस की विचारधारा में जुड़े करीब ढाई लाख मुस्लिम
हैरत की बात तो यह है कि अब तक आरएसएस की विचारधारा के मुस्लिम मंच से करीब ढाई लाख मुस्लिम जुड़े. बुरहानपुर, खंडवा, उज्जैन, इंदौर,जबलपुर, रायसेन समेत अन्य मुस्लिम बाहुल्य जिलों में विशेष अभियान चलाया गया. राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के प्रदेश सह संयोजक मोहम्मद तौफीक ने बताया कि मुस्लिम के नाम पर अब तक सियासत हुई. सियासतदारों ने अपने मकसद के लिए इनका इस्तेमाल किया. लेकिन तस्वीर बदल रही है. राष्ट्रवादी मुसलमान आगे आ रहा है. संघ से जुड़ रहा है. दावा यह भी किया कि संघीय विचारधारा के साथ चुनावों में संघ के मुसलमानों की अहम भूमिका भी होगी.
दरअसल तस्वीर तो अब बनाई जा रही है, लेकिन खाका तो पहले ही खींचा जा चुका था. आरएसएस के शीर्ष नेतृत्व देश के अलग-अलग राज्यों में विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनावों को लेकर की जा रही कवायदों से लगातार चौका रहा था. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कई बयान ऐसे दिए जो तार से तार को जोड़ते चले गए. आइए आपको बताते हैं भगवा और हरे रंग का कनेक्शन.
मोहनभागवत के इन बयानों पर गौर कीजिए
- हिंदू और मुस्लिम अलग नहीं, सभी भारतीयों का डीएनए एक है.
- जिस दिन हम करेंगे कि हमें मुसलमान नहीं चाहिए उस दिन हिंदुत्व नहीं रहेगा.
- जो लोग मुलसमानों से देश छोड़ने को कहते हैं, वे हिंदू कैसे हो सकते हैं.
- भागवत कई बार मस्जिदों में आदम भी दर्ज करा चुके हैं.
धर्म की सियासत
यदि आरएसएस के साथ मुस्लिमों की बात हो, तो सियासत का रुख भी गंभीर हो ही जाता है. कांग्रेस ने इसे आरएसएस की चुनावी चाल करार दिया. दावा किया कि धर्म की सियासत से अब कांग्रेस को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का आरोप लगाया कि आरएसएस मुस्लिमों को झांसा देकर इस्तेमाल करना चाहती है. मुस्लिम राष्ट्रवाद की बात करने से पहले आरएसएस मुख्यालय में तिरंगा लहराएं. बीजेपी का कहना है कि ओवैसी हो या कांग्रेस मुस्लिमों को मुख्यधारा में जुड़ता देख दर्द होना लाजमी है. आज भारत माता की जयकारे और राष्ट्रवादी विचारधारा के साथ मुस्लिम आगे बढ़ रहा है. जुड़ने का यह कारवां आगे भी जारी रहेगा.
भगवा में हरे रंग की घुलती हुई महक
बता दें कि चुनावी महासंग्राम के इस साल में सियासत के अलग-अलग रंग दिखाई दे रहे हैं. कभी धर्मांतरण तो कभी लव जिहाद के मसलों पर सियासी उबाल का सुर्ख लाल रंग, तो अब भगवा में हरे रंग की घुलती हुई महक. मध्यप्रदेश की इस रंग बिरंगी सियासत पर किसी शायर की कलम से क्या खूब निकला ? “नजरों का धोखा या चश्मों का कसूर..रंगीन सियासत की चमक यहां.. देखेंगे हुजूर देखेंगे जरूर.”
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