राकेश चतुर्वेदी,भोपाल। मध्यप्रदेश में बिजली कटौती और कोयला संकट पर सियासत जारी है। इस मामले को लेकर सत्ताधारी पार्टी बीजेपी और विपक्षी पार्टी कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। जहां बीजेपी इसे वैश्विक और राष्ट्रीय समस्या बता रही है वहीं कांग्रेस सरकार की नाकामी और कमजोरी बता रही है।

एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भी बिजली कटौती और कोयला संकट मामले में सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने इस मामले में ट्वीट किया है। लिखा है कि भाजपा सरकार को प्रदेश में व्याप्त बिजली व कोयला संकट से निपटने के लिए पूर्व इंतजाम करना थे लेकिन यह अब जाकर नींद से जागे हैं। अब विदेशों से आयात की तैयारी कर रहे हैं। सड़क मार्ग से कोयला लाने के टेंडर कर रहे हैं और यात्री ट्रेनों को रद्द कर कोयले की ढुलाई का इंतजाम किया जा रहा है। जबकि यह सब पहले से किया जाना था।

जब आग लग गयी है, तब कुआं खोदने में लगे हैं। अभी भी बिजली संकट व कोयले संकट को नकार रहे हैं। सच्चाई को स्वीकार नहीं कर रहे है जबकि पूरे प्रदेश में अघोषित बिजली कटौती जारी है। कोयले का रिजर्व स्टॉक खत्म होने की कगार पर है। कई विद्युत उत्पादन इकाइयां बंद पड़ी है, जो चालू भी है उनमें भी क्षमता से कम उत्पादन हो रहा है। पता नहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का बिजली संकट व कोयले संकट पर मौन कब टूटेगा…?

बिजली और कोयले की स्थित पर श्वेत पत्र जारी करे सरकार

पूर्व बिजली मंत्री प्रियव्रत सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस में सवाल उठाया है कि बिजली संकट है तो मप्र बिजली उत्पादन में सरप्लस कैसे हुआ। 18 साल बाद ऐसे हालात क्यों। 900 करोड़ के करार से एक यूनिट भी नहीं मिल रही बिजली। अधिकारियों के मंथन पर साधा निशाना। जब आग लगी है तब जबलपुर में कुआं खोदा जा रहा है। आज ऐसे में मंथन की नहीं गांव में जाकर बिजली व्यवस्था देखने की जरूरत है। सुपर स्पेशलिटी प्लांट क्यों बंद हैं। इसकी केस स्टडी होना चाहिए। एनर्जी एक्सचेंज पर उठाए सवाल। एनर्जी एक्सचेंज में हो रहा है घाटा। सारणी में नया प्लांट लगाने की जरूरत है। सरदार सरोवर से मप्र को नहीं गुजरात को बिजली दी जा रही है। देश में कोल इंडिया को घाटे में बताने का षड्यंत्र चल रहा है। उन्होंने बिजली और कोयले की स्थित पर श्वेत पत्र करने की मांग की है।

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