रायपुर। लेमरू एलीफेंट रिजर्व के क्षेत्र को लेकर सियासत तेज होती जा रही है. स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के बाद अब धरमजयगढ़ विधायक लालजीत सिंह राठिया ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से रिजर्व क्षेत्र में कोई कमी नहीं करने की मांग की है. इसके साथ मांड एवं हसदेव नदी के जलग्रहण क्षेत्र में कोयला खदान खोलने का विरोध करते हुए इसे वन संरक्षण रिजर्व घोषित करने की मांग की है.

धरमजयगढ़ विधायक लालजीत सिंह राठिया ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लिखे पत्र में बताया कि राज्य में लगभग 58000 मिलियन टन कोयले का भंडार है और उनमें से 20 प्रतिशत ही मांड / हसेदव की जलग्रहण क्षेत्र में है. इन इलाकों में कोयला खनन किये जाने से बड़ी संख्या में आदिवासी बहुल्य गावों का विस्थापन भी होगा. क्षेत्र में पहले से ही मानव – हाथी संघर्ष की गंभीर स्थिति है, ऐसे में अधिक कोयला खदान खोलने से हाथी समूह अधिक उग्र होकर गांवों में नुकसान पहुंचा सकते हैं.

राहुल गांधी ने दिलाया था भरोसा

उन्होंने कहा कि उनके विधानसभा से सटे गांव कुदमुरा में राहुल गांधी ने लोगों को भरोसा दिलाया था कि कांग्रेस सरकार ऐसा कोई कार्य नहीं करेगी, जिससे मानव व हाथी संघर्ष बढ़े. उन्होंने आदिवासियों को विस्थापन से बचाने का भी भरोसा दिया था. ऐसे में क्षेत्र में संरक्षण रिजर्व बनाए जाने से आदिवासियों के कोई अधिकार प्रभावित नहीं होंगे. इससे लघु वनोपज संग्रहण वन अधिकार पट्टों की भी अनुमति रहेगी, साथ ही वन व वन्यजीव संरक्षण भी होगा.

नहीं हो पाएगा कोल ब्लॉक आबंटन

विधायक ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वर्ष 2019 में ही कैबिनेट में मंजूर लेमरू रिजर्व के क्षेत्र में कमी न करते हुए मांड और हसदेव नदी के जलग्रहण क्षेत्र को भी संरक्षित करने व विस्थापन से बचाने धारा 36 A का संरक्षण रिजर्व घोषित किया जाये. इससे केन्द्र सरकार इस पूरे क्षेत्र में कोल ब्लॉक आबंटित नहीं करेगी. वहीं राज्य व देश की कोयला की आवश्यकता पूरी करने के लिए और भी विकल्प है.

इसे भी पढ़ें : लेमरू एलिफेंट रिजर्व प्रोजेक्ट: मंत्री सिंहदेव ने पत्र में लिखा- मैंने 1995.48 वर्ग किमी की जताई थी सहमति

सिंहदेव ने भी सीएम को लिखी चिट्ठी

इसके पहले स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने 30 जून को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लिखे पत्र में लेमरू एलीफेंट रिजर्व को 1995,48 वर्ग किमी स्थापित करने पर समर्थन जताया था. उन्होंने रिजर्व एरिया के कम करने की बात का खंडन करते हुए कहा था कि उन्होंने कभी कैबिनेट में लेमरू का एरिया कम करने को नहीं कहा ”न लिखित न मौखिक”.