शब्बीर अहमद,भोपाल। केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण ‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ योजना पर सियासत शुरू हो गई है. सीएम शिवराज और केंद्रीय कृषि मंत्री फसल बीमा पॉलिसी वितरण अभियान का इंदौर से शुभारंभ करेंगे. जिस पर पूर्व सीएम कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा कि जब-जब प्रदेश में भाजपा की सरकार आई है, किसान परेशान हुआ है. अब इस पर बीजेपी ने पलटवार किया है. बीजेपी ने कहा कि कमलनाथ किसानों के हक को लेकर घड़ियाली आंसू न बहाएं.

कमलनाथ के ट्वीट पर बीजेपी ने पलटवार कर कहा कि कमलनाथ किसानों के हक को लेकर घड़ियाली आंसू न बहाएं. बीजेपी ने सवाल उठाते हुए कहा कि कमलनाथ बताएं उनके कर्जमाफी के वादों का क्या हुआ ? पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने पहली बार किसानों का 700 करोड़ का कर्जमाफी किया था. कमलनाथ ने अपनी सरकार के दौरान किसानों के प्रीमियम राशि तक जमा नहीं की.

मेरी पॉलिसी मेरे हाथः सीएम शिवराज और केंद्रीय कृषि मंत्री फसल बीमा पॉलिसी वितरण अभियान का इंदौर से करेंगे शुभारंभ, 20 किसान होंगे शामिल

पूर्व सीएम कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा था कि मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार में किसानों को ना खाद, ना बीज मिल पा रहा है, ना सिंचाई के लिए पर्याप्त बिजली, ना पानी मिल पा रहा है, उनको उनकी उपज का सही मूल्य तक नही मिल रहा है, ना ही खराब फसलों का मुआवजा मिल रहा है. अब तो फसल बीमा की दावा राशि के नाम पर किसान को एक बार फिर ठगा गया है. शिवराज सरकार ने दो सप्ताह पूर्व प्रदेश में बड़े-बड़े आयोजन कर प्रदेश के 49 लाख किसानों के खातों में फसल बीमा की दावा राशि के 7600 करोड़ डालने के बड़े-बड़े दावे किए थे.

जबकि सच्चाई यह है कि आज भी हजारों किसानों के खातों में यह राशि नहीं पहुंची है. जिन किसानों के खातों में राशि पहुँच भी चुकी है. वहां बैंकों द्वारा बगैर उनकी सहमति के उस राशि को ऋण में समायोजित किया जा रहा है. नगद निकासी पर रोक लगा दी गई है. लाखों किसानों को नुकसान के अनुपात में कम राशि मिली है. कई किसानों को जमा प्रीमियम की राशि से भी कम राशि क्लेम के रूप में मिली है.

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सरकार ने दावा किया था कि किसी भी किसान को एक हज़ार रुपये से कम की क्लेम की राशि नहीं मिलेगी. उसके अंतर की राशि की भरपाई सरकार करेगी, लेकिन दो सप्ताह बीत जाने के बाद भी अभी तक ना उन किसानों की सूची बन पाई है और ना उनको भुगतान हो पाया है. सरकार के सारे दावे झूठे व हवा-हवाई साबित हुए हैं. संकट के इस दौर में सरकार के सारे ज़िम्मेदार किसानों को भगवान भरोसे छोड़, उनकी सुध तक नहीं ले रहे है और किसान परेशान हो रहा है.

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