शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्य प्रदेश में सांसदों-विधायकों को सलामी देने पर सियासत शुरू हो गई है। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने डीजीपी को पत्र लिखकर इस फैसले को वापस लेने की मांग की हैं। उन्होंने कहा कि अगर गंभीर आपराधिक मामलों में नामजद जनप्रतिनिधियों को सलामी देगी, तो पुलिस की साख और निष्पक्षता प्रभावित होगी।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सांसदों और विधायकों को सलामी देने वाले फैसले पर सवाल उठाया हैं। उन्होंने डीजीपी कैलाश मकवाना को एक पत्र भी लिखा है। जिसमें इस निर्णय को वापस लेने की मांग की है। जीतू पटवारी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट कर लिखा- यदि गंभीर आपराधिक मामलों में नामजद जनप्रतिनिधियों को पुलिस सलामी देगी, तो पुलिस की साख और निष्पक्षता प्रभावित होगी! @DGP_MP को पत्र लिखकर इस गैर-जरूरी निर्णय को वापस लेने की मांग की! ताकि, पुलिस के सम्मान को कायम रखा जा सके!

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BJP ने किया पलटवार

बीजेपी प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने कहा कि लोकतंत्र में जनप्रतिनिधि का सम्मान, उन्हें चुनने वाली जनता का सम्मान होता है। यह तथ्य कांग्रेस जैसे दल के नेताओं के लिए समझना कठिन हो सकता है, जो राजशाही, सामंतवाद या परिवारवाद के सिद्धांतों पर विश्वास रखते हैं। मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि पुलिस विभाग द्वारा जारी यह आदेश कोई नया आदेश नहीं है। यह 1950 से निरंतर चल रही सरकारी प्रक्रिया का हिस्सा है, इसमें उचित सम्मान का उल्लेख किया गया है। “सैल्यूट“ अनुशासन और आदर की अभिव्यक्ति है।

डीजीपी ने दिए आदेश

आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में पुलिस अफसरों और कर्मचारियों को अब सांसद-विधायकों को भी सैल्यूट करना होगा। डीजीपी कैलाश मकवाना ने आदेश जारी कर कहा है कि किसी भी जनप्रतिनिधि के साथ शिष्ट व्यवहार में कमी नहीं होनी चाहिए। सांसद और विधायक मिलने आए तो पुलिस अफसरों को प्राथमिकता के आधार पर उनसे मुलाकात कर बात सुननी होगी।

पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना ने इसके निर्देश प्रदेश की सभी पुलिस इकाइयों को जारी कर इसका पालन करने के लिए कहा है। सभी सांसद, विधायकों को सरकारी कार्यक्रम या सामान्य मुलाकात के दौरान उनका अभिवादन वर्दीधारी अधिकारी और कर्मचारी सैल्यूट करके करेंगे।

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डीजीपी ने सांसदों, विधायकों के सम्मान को लेकर जारी निर्देश में आठ अलग-अलग परिपत्रों का जिक्र किया है। ये सर्कुलर पुलिस महकमे के अफसरों के लिए 23 जनवरी 2004, 18 मई 2007, 22 मार्च 2011, 24 अक्टूबर 2017, 19 जुलाई 2019, 11 दिसंबर 2019, 12 नवंबर 2021 और 4 अप्रैल 2022 को शासन ने जारी किए हैं।

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