
रायपुर. छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र में अनुदान मांगों की चर्चा के बीच संसदीय कार्य मंत्री केदार कश्यप ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि शौचालय योजना यदि बंद हो जाए तो कांग्रेसी लोटा लेकर जाएंगे. मंत्री की इस टिप्पणी पर नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर चरणदास महंत ने जवाबी पलटवार करते हुए कहा, पहले तो लोटा में ही काम चल जाता था, लेकिन आज शौचालय तो बन गया, लेकिन बाल्टी में पानी तक नहीं है. सरकार को शौचालय बनाने के पहले पानी की व्यवस्था गांव-गांव में करनी चाहिए.

दरअसल केदार कश्यप बजट अनुदान मांग पर चर्चा के दौरान सरकार की उपलब्धियां गिनाने के साथ-साथ पूर्व सरकार की खामियां भी गिना रहे थे. केदार कश्यप ने कहा कि साय सरकार में ज्ञान के सहारे विकास को गति देने का काम किया है, लेकिन पूर्व की सरकार ने विकास को दुर्गति में बदल दिया था. और तो और रमन सरकार की कई योजनाओं को बंद कर दिया था. इस पर नेता-प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि हमारी सरकार के समय हमने किसी भी योजना को बंद नहीं किया था, लेकिन मौजूदा सरकार ने जरूरी पूर्व की कई जनहितैषी योजनाओं को बंद कर दिया. जहां तक बात लोटा लेकर जाने की बात है तो पहले एक लोटा में ही काम चल जाता था, लेकिन आज छत्तीसगढ़ की स्थिति ये है कि शौचालय तो बना है, लेकिन पानी नहीं है. बाल्टी तक में पानी नहीं है. सरकार को पहले पानी की व्यवस्था गांव-गांव में करनी चाहिए.
एक पेड़ मां के नाम…1900 रुपये दाम
नेता-प्रतिपक्ष डॉ. महंत ने आरोप लगाया है कि वृक्षारोपण का जो महाअभियान है कहीं वो भ्रष्टाचार का अभियान न बन जाए. इस ओर सरकार को ध्यान देना चाहिए. डॉ. महंत ने कहा कि छत्तीसगढ़ में एक साल में करीब 7 से 8 करोड़ की राशि एक पेड़ मां के नाम पर खर्च किया गया. हैरानी इस बात की है कि प्रदेश में एक पेड़ की कीमत 1900 रुपये तक है. उन्होंने कहा कि इस अभियान के लिए 250 से लेकर 1900 रुपये तक में पेड़ खरीदे गए. और तो और डब्लूबीएम सड़क पर भी पेड़ लगा दिए गए.
डॉ. महंत के आरोपों को वन मंत्री केदार कश्यप ने नकार दिया. वन मंत्री ने कहा कि ऐसी कहीं कोई बात नहीं है. वन विभाग ने कहीं 1900 रुपये में पेड़ नहीं खरीदे हैं. सच्चाई यह है कि छत्तीसगढ़ में एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत करीब 4 करोड़ पौधों को रोपण किया गया है. राज्य को हरा-भरा बनाना हमारी प्राथमिकता है. छत्तीसगढ़ में वन क्षेत्र का दायरा बढ़ भी रहा है.
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