दिल्ली में प्रदूषण संकट के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय की ताज़ा रिपोर्ट चिंता बढ़ाने वाली है। संसद में दिए गए एक लिखित जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2023 से 2025 के बीच के आंकड़े साझा किए। रिपोर्ट के अनुसार, राजधानी में ओरल कैंसर (मुंह का कैंसर) के मामलों में साल-दर-साल 5.1% की सबसे तेज़ वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं, फेफड़ों के कैंसर के मामलों में भी 4.9% की बढ़ोतरी सामने आई है।
नई दिल्ली में कैंसर के मामलों के ताज़ा आंकड़े चिंताजनक तस्वीर पेश करते हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा साझा किए गए डेटा के अनुसार: महिलाओं में फेफड़ों के कैंसर के मामलों में सबसे बड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह आंकड़ा- 2023 में 604, 2024 में 644, और 2025 में 686 तक पहुंच गया, यानी 6.5% की वार्षिक वृद्धि।
पुरुषों में ओरल कैंसर के मामलों में सबसे तेज़ वृद्धि देखी गई। यह संख्या- 2023 में 2,429, 2024 में 2,569, और 2025 में 2,717 तक पहुंच गई, जो लगभग 5.8% की वृद्धि है।
स्तन कैंसर- सबसे आम कैंसर अभी भी वही
संख्या की दृष्टि से देखें तो दिल्ली में स्तन कैंसर अब भी सबसे आम है। राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम के अनुमान बताते हैं कि- 2023 में 3,198, 2024 में 3,260 और 2025 में 3,321 मामले दर्ज किए गए।
ओरल कैंसर-दिल्ली में दूसरा सबसे आम कैंसर
दिल्ली में ओरल कैंसर अब कुल मिलाकर दूसरा सबसे सामान्य कैंसर बन गया है। पुरुषों और महिलाओं में दर्ज मामलों को मिलाकर यह संख्या 2025 में बढ़कर 3,208 तक पहुंच गई। आंकड़ों पर नज़र डालें तो पिछले तीन सालों में यह लगातार बढ़ा है- 2023: कुल 2,901 मामले, पुरुष: 2,429, महिलाएँ: 472
2024: कुल 3,051 मामले, पुरुष: 2,569, महिलाएँ: 482
2025: कुल 3,208 मामले, पुरुष: 2,717, महिलाएँ: 491
हालांकि, दिल्ली में बढ़ते कैंसर मामलों के बीच सर्वाइकल कैंसर ने एक अलग रुझान दिखाया है। महिलाओं में इसके मामलों में मामूली गिरावट दर्ज की गई है। 2023 में 741 मामले, 2024 में 716 मामले, 2025 में 692 मामले
यह गिरावट दोनों वर्षों में लगभग 3.4% की साल-दर-साल कमी को दर्शाती है। इसके विपरीत, पुरुषों में कैंसर के मामलों में वृद्धि का रुझान स्पष्ट है। सबसे अधिक वृद्धि ओरल कैंसर में दर्ज की गई, जबकि फेफड़ों का कैंसर भी तेजी से बढ़ा, जो 2023 में 1,668 मामलों से बढ़कर 2025 में 1,814 पर पहुंच गया। इसी तरह, प्रोस्टेट कैंसर के मामलों में भी लगातार बढ़ोतरी देखी गई और इसकी संख्या 2023 के 1,168 से बढ़कर 2025 में 1,301 हो गई।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने राजधानी में कैंसर के अपेक्षाकृत उच्च आयु-समायोजित घटना दर (Age-Adjusted Incidence Rate-AAIR) पर भी ध्यान दिलाया। 2015 से 2019 के बीच दिल्ली में पुरुषों के लिए प्रति एक लाख जनसंख्या पर 146.7 तथा महिलाओं के लिए 132.5 की AAIR दर्ज की गई। यह दर मुंबई, कोलकाता, पुणे और अहमदाबाद जैसे प्रमुख शहरों की तुलना में अधिक थी। AAIR दरअसल विभिन्न आयु समूहों वाली आबादी को मानकीकृत करते हुए कैंसर के मामलों की गणना करता है, जिससे अलग-अलग क्षेत्रों के बीच तुलनात्मक विश्लेषण अधिक सटीक और सार्थक हो पाता है।
इसके साथ यह भी महत्वपूर्ण है कि दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) और राजीव गांधी कैंसर संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र जैसे बड़े तृतीयक स्वास्थ्य संस्थान मौजूद हैं। इन सुविधाओं के कारण राजधानी न सिर्फ अपने मरीजों बल्कि उत्तर भारत और देश के अन्य हिस्सों से आने वाले कैंसर पीड़ितों का भी प्रमुख उपचार केंद्र बन जाती है। परिणामस्वरूप, दिल्ली में कैंसर उपचार का बोझ और रोगियों की संख्या दोनों बढ़ जाती हैं, जो यहां दर्ज ऊंची घटना दर को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक माना जाता है।
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