आज के समय में लोग घर पर गमलों और कंटेनरों में सब्जियां, फल व फूल उगा रहे हैं. यह सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है. आज हम आपको घर में बाल्टी में अनार उगाने की तकनीक बताएंगे. इस फल को आप घर की एक बाल्टी में उगा सकते हैं. अनार का पौधा (pomegranate plant) आकार में छोटा होने के कारण घर की बालकनी और आंगन में लगाया जा सकता है.

ज्योतिष और वास्तु में भी अनार के पौधे का विशेष महत्व

अनार एक स्वादिष्ट और पौष्टिक फल है। यह फल हृदय रोग और खून की कमी के साथ महिलाओं के लिए लाभकारी होता है. धर्मशास्त्र और वास्तुशास्त्र के अनुसार इस पौधों के घर में लगाने से साकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. ज्योतिष शास्त्र में अनार के वृक्ष को देवताओं का प्रतीक माना जाता है. वास्तु नियमों के अनुसार हमें अपने घर में अनार का पौधा जरूर लगाना चाहिए। अनार का पौधा घर में लगाने से आपकी किस्तम के दरवाजे देवताओं की कृपा से खुल जाते हैं. अगर अनार का पौधा घर में होता है तो ग्रह दोष भी दूर हो जाते हैं। सूख समृद्धि की प्राप्ति होती है। अनार के पौधे घर के बाहर आग्नेय दिशा में लगाना शुभ माना जाता है.

मध्य गर्मी में इसके बीज लगाएं

अनार के बीज लगाने का सबसे सही समय वसंत ऋतु से मध्य गर्मी के बीच होता है. गर्म इलाकों में आप इसे सितंबर से नवंबर महीने के बीच भी लगा सकते हैं. अनार के पौधे को आप इसकी टहनियों से भी उगा सकते हैं.

कम पानी में भी आसानी से उग जाता है अनार

अनार के पेड़ों को पानी की बहुत ही कम आवश्यकता होती है. यह सूखी जगहों पर भी उगाये जा सकते हैं, लेकिन शुरु के 2 से 4 सप्ताह आपको इसका विशेष ख्याल रखना होगा. ध्यान रखें कि जब पौधे पर फूल लगने लगें तो इसे पानी की जरूरत काफी ज्यादा होती है. पानी की कमी से पेड़ की उत्पादन क्षमता कम हो सकती है.

तापमान

अनार की ग्रोथ के लिए 25 से 28 डिग्री सेल्सियस का तापमान अनुकूल माना जाता है. हालांकि यह कम तापमान को भी सह सकता है. बाल्टी में उगाए जाने वाले इसके पौधे को रोजाना 6 से 8 घंटे धूप की आवश्यकता होती है. यह पौधे आंशिक छाया वाली जगहों पर भी उगाये जा सकते हैं.

रोगों से बचाव

अनार के पौधे में फ्रूट बोरर, लीफरोलर्स ब्लाइट और हार्ट रॉट आदि जैसे रोग लग जाते हैं. ऐसे लक्षण दिखने पर पौधों पर जैविक फंगीसाइड, कीटनाशक और नीम के घोल का इस्तेमाल करें. इसके अलावा पौधों की नियमित जाँच पड़ताल करते रहें. गमले में उगने वाले इस पौधे के लिए यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि यह ज़्यादा लम्बा या चौड़ा पौधा न बन जाए. इसलिए समय-समय पर इसकी कटाई- छंटाई करते रहें.

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